Intense Heat Wave In Eastern States, Spreads To South India – Amar Ujala Hindi News Live

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Intense heat wave in eastern states, spreads to south India

भीषण गर्मी से देश के कई राज्यों की जनता बेहाल
– फोटो : एएनआई (फाइल)

विस्तार


भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि पूर्वी भारत के बड़े हिस्से में भीषण गर्मी मंगलवार को भी जारी रही और यह देश के दक्षिणी हिस्सों में भी फैल गई। ओडिशा, पश्चिम बंगाल के गंगा के तटवर्ती इलाके, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से दो से सात डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। 

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में पारा 43.5 डिग्री सेल्सियस, कुरनूल में 43.2 डिग्री सेल्सियस, तमिलनाडु के सलेम में 42.3 डिग्री सेल्सियस और इरोड में 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। 

अप्रैल में लू का दूसरा दौर

इस महीने में लू का यह दूसरा दौर है। आईएमडी के मुताबिक, ओडिशा में 15 अप्रैल से और पश्चिम बंगाल में गंगा के किनारे वाले इलाकों में 17 अप्रैल से लू की स्थिति बनी हुई है। विभाग ने एक बयान में कहा कि अगले पांच दिनों के दौरान भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में लू की स्थिति गंभीर हो सकती है। 

 

अगले पांच दिनों तक इन राज्यों में लू चलने की संभावना

आईएमडी के मुताबिक, अगले चार से पांच दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में अधिकतम तापमान 2-4 डिग्री सेल्सियस और महाराष्ट्र में 3-4 डिग्री सेल्सियस बढ़ने का अनुमान है। अगले पांच दिनों के दौरान पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, बिहार, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ हिस्सों में लू चलने की संभावना है।

उमस से इन राज्यों में होगी असुविधा

मौसम विभाग ने कहा कि उमस के कारण तटीय आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, कर्नाटक, गोवा, केरल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और बिहार के लोगों को असुविधा हो सकती है। ओडिशा में 25-27 अप्रैल के दौरान गर्म रात की स्थिति होने की संभावना है। रात के उच्च तापमान को खतनाक माना जाता है, क्योंकि शरीर को ठंडा होने का मौका नहीं मिलता है। 

अधिक होगी लू के दिनों की संख्या

विभाग के मुताबिक, मध्यप्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ, मराठवाड़ा, और झारखंड में लू के दिनों की संख्या अधिक होने की आशंका है। कुछ स्थानों पर बीस से ज्यादा लू के दिन हो सकते हैं। तेज गर्मी बिजली ग्रिड को तनाव दे सकती है और इसके चलते देश के कुछ हिस्सों में पानी की कमी हो सकती है। आईएमडी सहित वैश्विक मौसम एजेंसियां भी इस साल बाद में ला नीना की स्थिति विकसित होने की आशंका जता रही हैं। 

भारत में कृषि के लिए मानसून महत्वपूर्ण है, क्योंकि शुद्ध खेती वाले क्षेत्र का 52 फीसदी इस पर निर्भर है। यह देशभर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है। 






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