भारत में हृदय रोग या कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (सी.वी.डी.) मृत्यु का एक प्रमुख कारण है, यह बोझ और भी बढ़ने की आशंका है। खासकर शहरी क्षेत्रों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह और पेट की बढ़ती चर्बी और मोटापा के कारण ये दिक्कतें अधिक देखी जा रही है।
आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में सभी तरह की बीमारियों से होने वाली मौतों में से एक चौथाई के लिए हृदय रोग ही जिम्मेदार हैं। शरीर में कुछ स्थितियों का बढ़ना आपके हार्ट के लिए बहुत खतनाक हो सकता है जिसपर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चााहिए।
हृदय रोग और इससे संबंधी बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम को लेकर लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि किन चीजों का बढ़ना हार्ट के लिए नुकसानदायक है?
हृदय रोगों के लिए मुख्यरूप से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने को प्रमुख कारक माना जाता है। हाई ब्लड प्रेशर को ‘साइलेंट किलर’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह आमतौर पर लक्षण पैदा नहीं करता है। उच्च रक्तचाप की स्थिति में हृदय को रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। लंबे समय तक बनी रहने वाली ये समस्या हृदय के पंपिंग कक्ष की दीवारें मोटी कर देती है।
इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर से होने वाले दबाव के कारण हृदय तक रक्त ले जाने वाली वाहिकाओं के फटने का भी खतरा रहता है जो हृदय की गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकती है। हार्ट अटैक के लिए भी इसे ही प्रमुख कारक माना जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर की ही तरह से हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण भी हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है। असल में उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण रक्त वाहिकाओं की दीवारों में फैट जमा होने लग जाती है जिससे धमनियों में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। ये जमा पदार्थ टूटकर थक्के बना सकते हैं, ऐसे में हृदय तक खून का संचार कम या रुक सकता है जो दिल का दौरा या स्ट्रोक जैसी समस्याओं को जन्म देती है।
अगर आपको लगता है कि सिर्फ कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ने से ही हार्ट को नुकसान होता है तो जरा सावधान हो जाइए। अगर आप अक्सर तनाव में रहते हैं या डिप्रेशन के शिकार हैं तो इससे भी हृदय रोगों का खतरा हो सकता है।
स्ट्रेस के कारण शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यदि आपको अक्सर तनाव की दिक्कत बनी रहती है तो कोर्टिसोल हार्मोन के दुष्प्रभावों के कारण ब्लड प्रेशर के साथ शुगर, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर भी अधिक होने लगता है। इन सभी को हार्ट के लिए हानिकारक पाया गया है।
हृदय रोग और डायबिटीज के बीच गहरा संबंध है। यदि आप डायबिटीज के शिकार है और अक्सर शुगर हाई रहता है तो इसका असर हार्ट पर भी पड़ सकता है। हाई ब्लड शुगर की स्थिति आपकी रक्त वाहिकाओं और नसों को गंभीर क्षति पहुंचा सकती है। डायबिटिक न्यूरोपैथी वाले रोगियों में तंत्रिकाएं बहुत कमजोर हो जाती हैं।
रक्त वाहिकाओं को होने वाली क्षति के कारण हार्ट से संबंधित समस्याओं को जोखिम काफी बढ़ सकता है। मधुमेह रोगियों में बिना डायबिटीज वालों की तुलना में कम उम्र में हृदय रोग होने का जोखिम भी अधिक होता है।
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