यूपी में भेड़ियों का आतंक।
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तराई के बहराइच समेत कई जिलों में आतंक का पर्याय बने भेड़िये ”वुल्फ डॉग” नहीं हैं। पकड़े गए भेड़ियों के प्रारंभिक अध्ययन के बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के विशेषज्ञों का यह आकलन है। ये विशेषज्ञ पकड़े गए भेड़ियों का शीघ्र ब्लड सैंपल लेकर उनका आनुवंशिक विश्लेषण (जेनेटिक टेस्टिंग) भी करेंगे। ताकि, सही नतीजों पर पहुंचा जा सके।
डब्ल्यूआईआई के विशेषज्ञ डॉ. शहीर खान बताते हैं कि पकड़े गए पांचों भेड़ियों को देखने (लुक) से यही पता चला रहा है कि वे क्रॉस ब्रीड नहीं हैं। डॉ. शहीर करीब एक सप्ताह से बहराइच की उस टीम में शामिल हैं, जो आदमखोर भेड़ियों को काबू में लाने का प्रयास कर रही है। वे बताते हैं कि भेड़िया एक दिन में 15-20 किमी तक की दूरी नाप लेता है। इनका अधिकतम दायरा 250 किमी तक रहता है। यानी, वे बड़ी ही आसानी से नेपाल बॉर्डर पर महराजगंज-सिद्धार्थनगर से पीलीभीत, बरेली और आगे तक का सफल तय कर सकते हैं।
डॉ. शहीर का अनुमान है कि यूपी में 50-60 से ज्यादा भेड़िये नहीं होंगे। वे मानते हैं कि भेड़ियों के आदमखोर हो जाने पर उन्हें हटा देना ही एकमात्र रास्ता होता है। जमीन पर मानव से भी पहले भेड़िया आया है। अब वे विलुप्त हो रही प्रजातियों में शामिल हैं। इसलिए इंसान को उनके वास क्षेत्र से दूरी बनाए रखना जरूरी है। बहराइच में ड्रोन कैमरे में छह भेड़ियों का समूह कैद हुआ था, जिन्हें आदमखोर ठहराया गया है। इनमें से महज एक भेड़िया ही अभी पकड़ से दूर हैं। वन कर्मियों को उम्मीद है कि शीघ्र ही समूह के इस आखिरी भेड़िये को भी पकड़ा जा सकेगा।
ये होते हैं वुल्फ डॉग
वुल्फ और वुल्फ डॉग के रंग में फर्क होता है, जो काफी कुछ स्पष्ट कर देता है। वुल्फ डॉग का रंग मिक्स (मिश्रित) होता है। यहां बता दें भेड़ियों और कुत्तों के प्रजनन से पैदा होने वाली संकर प्रजाति की संतान वुल्फ डॉग कहलाती है।