विवेक रामास्वामी
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
अमेरिकी उद्यमी और राष्ट्रपति पद के पूर्व रिपब्लिकन उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे लक्षित हमलों पर चिंता जताई। गौरतलब है, बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। भीषण आगजनी के बीच हालात बेहद खराब हो गए हैं। हालात इतने बदतर हो गए है कि देश में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है। भीड़ ने यहां के कम से कम 52 जिलों में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमला किया और उनके कीमती सामान भी लूट लिए।
विवेक रामास्वामी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, ‘बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाकर किए जा रहे हमले गलत हैं। यह चिंताजनक है। यह पीड़ितों के लिए की गई आरक्षण व्यवस्था के लिए भी चेतावनी है।’
बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा?
बांग्लादेश में 1971 में देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रतता सेनानियों के लिए तय किए आरक्षण के खिलाफ जुलाई में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। धीरे-धीरे ये विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गए और छात्रों द्वारा प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की जाने लगी।
ये विरोध प्रदर्शन इतने हिंसक हो गए कि पांच अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं। वहीं बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में गुरुवार को अंतरिम सरकार का गठन किया गया है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं। यहां हिंदुओं के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है।
अब तक 205 घटनाएं हुईं
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद ने दावा किया कि हसीना सरकार के पतन के बाद से 52 जिलों में अल्पसंख्यकों पर हमले की 205 घटनाएं हुई हैं।
एक बार अराजकता शुरू होने के बाद…: रामास्वामी
रामास्वामी ने बांग्लादेश की आरक्षण प्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक आपदा साबित हुई है। उन्होंने आगे कहा, ‘साल 2018 में हुए विरोध प्रदर्शनों ने बांग्लादेश को अधिकांश आरक्षण खत्म करने के लिए प्रेरित किया, लेकिन पीड़ित-संरक्षक वापस लड़े। इस साल आरक्षण प्रणाली को बहाल कर दिया गया था। इससे और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिससे सरकार गिर गई और प्रधानमंत्री को भागना पड़ा। एक बार अराजकता शुरू होने के बाद, इसे आसानी से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। कट्टरपंथी अब अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘1971 में दुष्कर्म और हिंसा की गलतियों को सुधारने के लिए बनाया गया आरक्षण संघर्ष अब 2024 में अधिक दुष्कर्म और हिंसा का कारण बन रहा है। रक्तपात की शिकायत और पीड़ित होने का अंतिम बिंदु है। बांग्लादेश को देखकर यह सोचना मुश्किल नहीं है कि हमें यहीं घर पर क्या सबक सीखना चाहिए।’