Vaishnav Slams Telangana Minister For Remark On Samantha-naga Divorce, Questions Rahul’s ‘silence’ – Amar Ujala Hindi News Live

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Vaishnav slams Telangana minister for remark on Samantha-Naga divorce, questions Rahul's 'silence'

अश्विनी वैष्णव
– फोटो : PTI

विस्तार


केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को तेलंगाना के मंत्री द्वारा अभिनेत्री सामंथा रूथ प्रभु और नागा चैतन्य को लेकर की दिए गए बयान की आलोचना की है। केंद्रीय मंत्री इस टिप्पणी को “भयावह” बताया और इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं।

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बता दें कि, कांग्रेस नेता और तेलंगाना के मंत्री सुरेखा कोंडा ने दावा किया था कि केटीआर के हस्तक्षेप के कारण नागा चैतन्य और सामंथा रुथ प्रभु के रिश्ते में दरार आ गई, जिसके परिणामस्वरूप तलाक हो गया। नागार्जुन, नागा चैतन्य, अमला अक्किनेनी और अखिल अक्किनेनी ने इन दावों पर जमकर निशाना साधा। 

अब इस मामले पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि, तेलंगाना सरकार के एक मंत्री द्वारा प्रमुख फिल्मी हस्तियों के चरित्र पर लांछन लगाने वाले बयान भयावह हैं और यह कांग्रेस की महिला विरोधी मानसिकता को दर्शाते हैं। उन्होंने आगे लिखा कि, यह दर्शाता है कि यह पार्टी मनोरंजन उद्योग को कैसे देखती है, जो भारत का गौरव है। हमारे समाज में इस तरह के विमर्श के लिए कोई जगह नहीं है। राहुल गांधी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी दिखाती है कि वे इस तरह की टिप्पणियों का समर्थन करते हैं।

 

केटीआर ने भेजा नोटिस-

तेलंगाना के नेता केटीआर ने कोंडा सुरेखा को भी अपना बयान वापस लेने के लिए कानूनी नोटिस जारी किया है। हालांकि उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया है, लेकिन अब कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अक्किनेनी परिवार उन्हें नोटिस जारी करने की प्रक्रिया में है। तेलुगु फिल्म चैंबर की ओर से मंत्री कोंडा सुरेखा को एक अलग नोटिस भी जारी किया जाएगा।

तेलंगाना की मंत्री ने किया था ये दावा-

राज्य मंत्री सुरेखा ने कहा था, ‘केटीआर ने एन-कन्वेंशन सेंटर को न गिराने के बदले में सामंथा को भेजने के लिए कहा। नागार्जुन ने सामंथा को केटीआर के पास जाने के लिए मजबूर किया, लेकिन उसने मना कर दिया। इसके कारण तलाक हो गया।’ बता दें कि, नागार्जुन के स्वामित्व वाले एन-कन्वेंशन सेंटर को अगस्त में हैदराबाद डिजास्टर रिस्पांस एंड एसेट्स मॉनिटरिंग एंड प्रोटेक्शन एजेंसी द्वारा झील के बफर जोन पर अतिक्रमण करने के कारण आंशिक रूप से ध्वस्त कर दिया गया था। हालांकि बाद में उच्च न्यायालय से उन्हें स्टे मिल गई थी। 





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