शिक्षक
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प्रदेश में शिक्षक प्रधानाचार्य के पदों पर विभागीय सीधी भर्ती रद्द करने की मांग को लेकर दो सितंबर से आंदोलनरत हैं। जिससे विद्यालयों में पढ़ाई पर इसका असर पड़ रहा है। वहीं शिक्षकों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पर अमल नहीं होता आंदोलन जारी रहेगा।
प्रदेश के राजकीय इंटरमीडिएट काॅलेजों में प्रधानाचार्य के कई पद खाली हैं। इनमें से 50 प्रतिशत पदों को विभागीय सीधी भर्ती से भरा जा सके इसके लिए उत्तराखंड राज्य शैक्षिक राजपत्रित सेवा नियमावली में संशोधन किया गया था लेकिन शिक्षकों के विरोध के बाद इसी महीने 29 सितंबर को होने वाली भर्ती को स्थगित कर दिया गया है, शिक्षक भर्ती को स्थगित करने के बजाए रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। शिक्षकों के चॉक डाउन कर बहिष्कार किए जाने और शिक्षा निदेशालय में चल रहे क्रमिक अनशन के चलते संबंधित शिक्षकों के विद्यालयों में पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।
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शिक्षकों की पहले ही बनी है कमी
सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की पहले ही कमी बनी है। अधिकतर विद्यालयों में प्रधानाचार्य नहीं हैं। वहीं, प्रवक्ताओं के 4000 से अधिक पद खाली हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं को बिना शिक्षक परीक्षा की तैयारी करनी पड़ रही है। जो शिक्षक हैं, उसमें भी कई आंदोलनरत हैं।