आईएएस अधिकारी
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देहरादून स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में एक सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) की नियुक्ति पर रहस्य की चादर पड़ी है, जिसमें दो आईएएस अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में आ चुकी है। एक आईएएस अफसर ने एजीएम की नियुक्ति के लिए अनुभव प्रमाणपत्र जारी किया, तो दूसरे आईएएस अफसर ने उस प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया। ऐसा क्यों किया गया? ये सवाल अब रहस्य बन चुका है।
सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने मामले की गंभीरता का जिक्र करने के साथ ही मुख्य सचिव को संज्ञान लेने और आयोग को अवगत कराने के लिए लिखा है। राज्य सूचना आयुक्त के आदेश में कहा गया है कि अनुभव प्रमाणपत्र का रहस्य मिशन निदेशक के पद पर रहीं सोनिका और उसके उपरांत नियुक्त डॉ. आर. राजेश के बीच का है। इससे प्रतीत होता है कि कहीं कूटरचना या तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है।
एक आरटीआई कार्यकर्ता शांतनु बिष्ट ने देहरादून स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में एजीएम गिरीश पुंडीर की नियुक्ति व अनुभव प्रमाणपत्र के संबंध में जानकारी मांगी थी। सवाल-जवाब के क्रम में पता चला कि स्वास्थ्य मिशन द्वारा 30 जुलाई 2022 को प्रमाणपत्र जारी हुआ और 14 दिसंबर 2022 को रद्द कर दिया गया। इसी तरह, उत्तराखंड हेल्थ डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट ने 25 अगस्त 2022 को प्रमाणपत्र जारी किया और 16 दिसंबर 2022 को निरस्त कर दिया।
यह किसी ने नहीं बताया कि प्रमाणपत्र को किस आधार और किस सक्षम अधिकारी के निर्देश पर जारी या रद्द किया गया। जवाब सिर्फ इतना आया कि सभी प्रमाणपत्र उच्च स्तर के अनुमोदन पर जारी और रद्द हुए। राज्य सूचना आयुक्त ने इस मामले को बेहद गंभीर माना। संबंधित विभागों के लोक सूचना अधिकारी से उच्च स्तर को लेकर सवाल किए। तब जवाब आया कि गिरीश को स्वास्थ्य मिशन प्रोजेक्ट की तत्कालीन निदेशक आईएएस सोनिका द्वारा प्रमाणपत्र जारी किया गया, जिन्हें बाद में प्रोजेक्ट निदेशक बने आईएएस डॉ. आर. राजेश द्वारा निरस्त कर दिया गया। निरस्त करने की वजह फिर भी नहीं बताई गई।