लोकसभा चुनाव 2024 उत्तराखंड
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सियासी समर का शुक्रवार को पहला पड़ाव पूरा हो गया। इस पड़ाव में उत्तराखंड की पांचों सीटों पर घमासान हुआ। करीब डेढ़ महीने से राजनीतिक दलों के सूरमाओं ने मतदाताओं तक अपनी पहुंच बढ़ाई। मगर, बूथों तक आने में मतदाताओं के कदम ठिठकते नजर आए। नतीजा यह हुआ कि बीते तीन चुनाव से इस बार सबसे कम मतदान हुआ। इसे लेकर अब नफा नुकसान की चर्चाएं शुरू हो गईं। सब अपने-अपने दावे पेश कर गणित लगाने में जुट गए हैं।
अब 45 दिन बाद आने वाले नतीजे ही इस कम मतदान के मायने तय करेंगे। देखने वाली बात होगी कि कम मतदान के जो दशकों से मायने होते हैं वही रहेंगे या फिर मतदाताओं के ठिठके कदम कुछ और इबारत लिखेंगे। मतदान बढ़ाने के लिए भाजपा 11,729 बूथों पर भाजपा ने बूथ समितियों और पन्ना प्रमुखों का नेटवर्क बनाया।
ऋषिकेश और रुड़की सीट पर सबसे कम मतदान
पार्टी के आम कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री तक ने ..मैं भी हूं पन्ना प्रमुख .. का अभियान चलाया। 2022 में 23 हारी हुई सीटों के लिए अलग से रणनीति भी बनाई, लेकिन मत प्रतिशत में बढ़ोतरी नहीं हो पाई। अमर उजाला ने लोकसभावार सीटों में मतदान प्रतिशत का विश्लेषण किया, जिसमें ये दिखा कि हरिद्वार में जिन सीटों पर कांग्रेस विधायक हैं, वहां सबसे अधिक मतदान हुआ। भाजपा विधायकों वाली ऋषिकेश और रुड़की सीट पर सबसे कम मतदान हुआ।