चमोली जिले से सबसे दूरस्थ पोलिंग बूथ द्रोणागिरी में शांतिपूर्वक मतदान कराकर पोलिंग पार्टी बृहस्पतिवार को हेलिकॉप्टर से गोपेश्वर लौट आई है। पोलिंग पार्टी में सभी युवा अधिकारी शामिल थे।
उन्हें केंद्र तक पहुंचने में कई दिक्कतें झेलनी पड़ीं। पहले पगडंडी से आवाजाही की तो फिर नौ किमी पैदल चले। इसके बाद कई जगह पैदल रास्ता क्षतिग्रस्त मिला। द्रोणागिरी गांव से लौटकर अधिकारियों ने आपबीती सुनाई।
द्रोणागिरी गांव तिब्बत सीमा क्षेत्र में स्थित है। अपने गांव तक पहुंचने के लिए भोटिया जनजाति के ग्रामीण करीब नौ किलोमीटर की पैदल दूरी तय करते हैं। शीतकाल में वह निचले क्षेत्रों में चले जाते हैं और ग्रीष्मकाल में घरों को लौट आते हैं।
विधानसभा उपचुनाव अब जुलाई में हुआ तो द्रोणागिरी गांव में चुनाव का केंद्र बनाया गया। इसलिए बदरीनाथ विधानसभा उपचुनाव में पहली बार द्रोणागिरी गांव में पोलिंग पार्टी पहुंची। यहां 368 मतदाता पंजीकृत हैं लेकिन गांव में मात्र 38 मतदाता ही थे जिन्होंने वोट डाले।
पोलिंग पार्टी में शामिल पीठासीन अधिकारी सूरज पुंडीर ने बताया कि द्रोणागिरी गांव में मतदान करवाना किसी चुनौती से कम नहीं था। आठ जुलाई को चार मतदान कर्मी, दो पुलिस कर्मी, एक कैमरामैन और दो वायरलेस कर्मी द्रोणागिरी गांव के लिए रवाना हुए। जुम्मा पुल से र्वींग तोक तक वे वाहन से पहुंचे। इसके बाद दुर्गम पहाड़ियों पर बनी पगडंडी से पैदल आवाजाही की।
करीब नौ किमी की पैदल दूरी तय कर वे गांव तक पहुंचे। यहां पैदल रास्ता कई जगहों पर क्षतिग्रस्त होने के कारण जान जोखिम में डालकर चलना पड़ा। शाम पौने छह बजे द्रोणागिरी गांव में पहुंचे तो ग्रामीणों ने खाने-रहने की व्यवस्था की थी। उन्होंने बताया कि गांव की अधिक पैदल दूरी और सुविधाओं के अभाव में कई ग्रामीण अपने मूल गांव में नहीं लौट रहे हैं। वे
जोशीमठ और जिले के निचले क्षेत्रों में ही रहना पसंद कर रहे हैं। 10 जुलाई को मतदान के बाद पैदल आना संभव नहीं था, जिस कारण 11 जुलाई को वे सब गोपेश्वर के लिए रवाना हुए। पैदल दूरी तय करने के बाद जब वे जोशीमठ पहुंचे तो यहां बदरीनाथ हाईवे बंद होने के कारण उन्हें हेलिकॉप्टर से गोपेश्वर लाया गया।