कार अनूप चला रहा था। अनूप के पीछे तमंचा लगाकर एक आदमी बैठा था। उन्हें लगा है कि अनूप और वह दोनों अगवा किए गए हैं। रात में एक बदमाश ने उनकी चेन और अंगूठी छीन ली। उन्हीं की जेब से रुपये निकालकर दोनों कारों में पेट्रोल डलवाया। दिन निकल आया तो वह शाहजहांपुर से हरदोई रोड पर घुमाते रहे। बीच- बीच में वह अनूप को इशारा करते थे कि कार थाने की ओर ले चलो पर अनूप उन्हें चुप करा देता था।
‘मैं जीना चाहता हूं, मुझे पानी चाहिए’
बताया कि जिस अंकित कटियार ने मियांपुर में उदित के घर उन्हें रखवाया, वह अनूप का रिश्तेदार है। उनकी भी मियांपुर में रिश्तेदारी हैं, इसलिए आरोपी उनकी आंखें बंद कर वहां ले गए। यहां उन्हें एक ही टाइम खाना मिलता था। ज्यादातर समय उन्हें एक बक्से में सुलाया जाता था, जो ऊपर से खुला रहता था। बदमाश आपस में बात कर रहे थे कि रुपये नहीं मिलने या खतरा महसूस होने पर उनकी हत्या कर देंगे। बारादरी थाना प्रभारी धनंजय पांडेय ने जब हरीश को छुड़ाया तो वह बोले कि मैं जीना चाहता हूं, मुझे पानी चाहिए। फिर वह करीब दो लीटर पानी एक बार में ही पी गए।
पुलिस मदद न करती तो मार दिया जाता हरीश
हरीश ने बताया कि इन लोगों ने फिरौती न मिलने व जरा सा खतरा होने पर उनकी हत्या की योजना बना ली थी। एक-दो दिन और गुजरते तो उन्हें मार दिया जाता। पुलिस ने ऐन वक्त पर पहुंचकर उन्हें बचा लिया।
अनूप को लगातार रुपये दिए, राशन भी घर भिजवाया
हरीश ने बताया कि सफर के दौरान कई बार उसे लघुशंका लगी पर इन लोगों ने एकाध बार ही उन्हें अंधेरे या जंगली इलाके में लघुशंका कराई। जबकि कार चला रहा अनूप कई बार उतरकर लघुशंका करने गया। तब उन्हें उस पर शक हुआ, लेकिन बीच-बीच में आरोपी उसे गाली देकर तमाचा मारते थे तो लगता था कि दोनों ही फंस गए हैं। हरीश की पत्नी सीतापुर में सरकारी शिक्षक हैं। उनकी दो जुड़वां बेटियां अपनी दादी के साथ कानपुर में रहकर पढ़ाई करती हैं। वह भी मूल रूप से हरदोई के पांडेयपुर के निवासी हैं, पर कई साल से वह बांदा में रहकर अंडे का कारोबार कर रहे हैं।