Top Court Said On Uttarakhand Forest Fire – Artificial Or Seasonal Rain Is Not The Solution – Amar Ujala Hindi News Live – Forest Fire :उत्तराखंड वनाग्नि पर शीर्ष अदालत ने कहा

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Top court said on Uttarakhand forest fire - artificial or seasonal rain is not the solution

उत्तराखंड के जंगलों में आग

विस्तार


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड के जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए कृत्रिम या मौसमी बारिश पर निर्भरता समाधान नहीं है। इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासन को बचाव के उपाय करने होंगे।

राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को आग पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराया। कहा कि ऐसी घटनाओं के कारण राज्य में 0.1 फीसदी वन्यजीव क्षेत्र में आग लगी है, 40 फीसदी क्षेत्र में नहीं जैसा कि मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 15 मई को होगी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ बुधवार को एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।

उत्तराखंड के उप महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी ने पीठ को 380 पेज की अंतरिम स्थिति रिपोर्ट सौंपी, जिसमें राज्य मशीनरी की ओर से जंगल की आग से निपटने के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया कि पिछले साल नवंबर से अब तक जंगल में आग की सभी 398 घटनाएं मानव जनित हैं। इनमें पांच लोगों की मौत हुई है। 350 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 62 लोगों को नामजद किया गया है। आग बुझाने के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टरों की सेवा भी ली गई थी।

पीठ ने जानना चाहा कि आग की घटनाओं में कितने जानवरों की मौत हुई है। सेठी ने जानवरों के बारे में कहा कि वह राज्य से सूचना लेकर अदालत को अवगत कराएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि जंगल में आग की घटनाएं सिर्फ उत्तराखंड में ही हैं, पूरी दुनिया में इस तरह की खबरें आती हैं।

वन अग्निशमन परियोजना केंद्र के पास लंबित

राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि उत्तराखंड वन अग्निशमन परियोजना 2023-28 केंद्र सरकार के पास लंबित है। उत्तराखंड वन अग्नि प्रबंधन योजना 2024 पर कार्यवाही की जा रही है। यह भी कहा गया कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से प्रतिदिन स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वकील ने कहा, स्थिति बहुत दयनीय

इस मामले में पक्षकार बनने के लिए आवेदन दायर करने वाले वकील ने पीठ को बताया कि राज्य सरकार बहुत ही अच्छी तस्वीर पेश कर रही है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों का दावा है कि जंगल की आग से निपटने में शामिल पूरी मशीनरी चुनाव संबंधी काम में व्यस्त है। स्थिति बहुत ही दयनीय है। जो लोग आग बुझाने जाते हैं उनके पास उचित उपकरण तक नहीं हैं।

समस्या की गंभीरता से इन्कार नहीं

मामले में पेश हुए एक अन्य वकील ने कहा कि पूरे जंगल चीड़ के पेड़ों से ढके हुए हैं और यही आग का कारण हैं। इस पर पीठ ने कहा कि भले ही अंग्रेज चीड़ के पेड़ लाए हों, लेकिन आज उनका उपयोग देश कर रहा है। हम इन पेड़ों को खत्म नहीं कर सकते और इन्हें निचले इलाकों में भी नहीं उगाया जा सकता। इस पर कोई विवाद नहीं है कि जंगल की आग एक गंभीर समस्या है। 

लापरवाही में 17 कर्मियों पर कार्रवाई की

देहरादून। वन विभाग ने आग को नियंत्रित करने में लापरवाही के लिए 17 कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की है। इनमें से दो को कारण बताओ नोटिस जारी किया, चार को अटैच किया गया और 11 को निलंबित कर दिया गया है। पिथौरागढ़ में जंगल में आग लगाने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद स्थिति पर नजर रख रहे हैं। वह अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार समस्या से निपटने को लेकर प्रतिबद्ध है। आग पर काबू पाया जा रहा है और पिछले दो-तीन दिनों में काफी फर्क देखने को मिल रहा है। चूंकि जल्द ही चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है, इसलिए हम आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, अधिकारियों ने बताया कि पौड़ी गढ़वाल में आग बुझाने के लिए लगातार काम चल रहा है। जहां तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंच रही हैं, वहां तक आग पर काबू पा लिया गया है। स्थानीय लोगों की भी मदद ली जा रही है।



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