जगन मोहन रेड्डी, चंद्रबाबू नायडू
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तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी को लेकर जारी विवाद के बीच जगन मोहन रेड्डी ने अपनी मंदिर की यात्रा रद्द कर दी है। हाल ही में युवाजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन ने एलान किया था कि वह 28 सितंबर को मंदिर में पूजा-अर्चना में भाग लेंगे। उनकी इस घोषणा के बाद सियासी बवाल खड़ा हो गया था। इससे पहले वाईएसआरसीपी ने दावा किया था कि राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस उनकी पार्टी के नेताओं को कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की चेतावनी दे रही है।
‘पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण रवैया’
युवाजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और मंत्री नारा लोकेश के निर्देशों पर आंध्र प्रदेश पुलिस कार्रवाई कर रही है। जगन मोहन रेड्डी के तिरुपति दौरे से पहले वाईएसआरसीपी नेताओं को नोटिस जारी किया जा रहा है। उन्हें कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की चेतावनी दी जा रही। क्षेत्र के कई नेताओं को ये चेतावनी पहले से मिल रही है और कई को पुलिस द्वारा घर में नजरबंद रखा जा रहा है। यह जबरदस्त कार्रवाई राज्य में वाईएसआरसीपी नेताओं के प्रति पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण व्यवहार को दिखाती है तथा राजनीतिक प्रभाव में पुलिस के अत्यधिक कठोर रवैये को दर्शाती है।’
जगन ने CM के पाप के लिए मंदिरों में क्षमा अनुष्ठान का किया था आह्वान
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने बुधवार को लोगों से 28 सितंबर को आंध्र प्रदेश के मंदिरों में पूजा-अर्चना में भाग लेने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था कि तिरुपति के लड्डुओं पर आरोप लगाकर मुख्यमंत्री नायडू ने कथित तौर पर जो पाप किया है, उसके प्रायश्चित के लिए यह क्षमा अनुष्ठान जरूरी है।
रेड्डी की यह अपील ऐसे समय में आई, जब कुछ दिन पहले ही नायडू ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विधायक दल की बैठक में आरोप लगाया था कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने श्री वेंकटेश्वर मंदिर को भी नहीं बख्शा और लड्डू बनाने के लिए घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया।
मंदिर जाने से पहले जगन को पुलिस दे सकती है नोटिस
वाईएसआरसीपी प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी की तिरुमाला हिल्स स्थित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की यात्रा से पहले जिला पुलिस ने शुक्रवार को कई नेताओं और पार्टी कैडर को नोटिस जारी किया कि वे पुलिस अधिनियम की धारा 30 का उल्लंघन न करें। वहीं, एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पुलिस पूर्व मुख्यमंत्री को यहां के निकट रेनिगुंटा हवाई अड्डे पर उतरने के बाद, तिरुमाला जाने से पहले निषेधाज्ञा का उल्लंघन न करने के लिए एक नोटिस भी जारी कर सकती है।
बता दें, पुलिस को जिले में कई स्थानों पर वाईएसआरसीपी नेताओं को नोटिस जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर संदेश फैलाए जा रहे हैं, जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं से पूर्व मुख्यमंत्री के साथ एकजुटता दिखाने के लिए तिरुपति में कुछ स्थानों पर इकट्ठा होने के लिए कहा जा रहा है।
अधिकारी का कहना है कि धारा 30 सार्वजनिक सभाओं और जुलूसों को नियंत्रित करती है। इसलिए इसे लागू किया गया है। हमने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई पोस्ट देखी हैं, जिनमें लोगों से तिरुपति में कुछ स्थानों पर इकट्ठा होने के लिए कहा गया है। नोटिस कुछ और नहीं बल्कि उन्हें चेतावनी दे रहे हैं कि वे वहां न आएं और आदेशों की अवहेलना न करें। जगन मोहन रेड्डी को हवाई अड्डे पर निषेधाज्ञा का उल्लंघन न करने के लिए नोटिस भी जारी किया जा सकता है।’
क्या है तिरुपति मंदिर के लड्डू में चर्बी का पूरा विवाद
आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दो दिन पहले लैब रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि, मंदिर के प्रसादम में प्रयोग होने वाले शुद्ध घी में जानवरों की चर्बी मिली हुई है। भगवान तिरुपति के प्रसादम बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। लड्डुओं में घी के बजाय जानवरों की चर्बी का उपयोग किया गया। ये मिलावट पिछली सरकार के दौरान दिए गए घी के ठेके के चलते हुई है। सीएम ने कहा था कि इस भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में सरकार की ओर से कई लोगों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा चुका है।
वहीं इस पूरे मामले पर मंदिर समिति तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की ओर से भी बयान जारी किया गया। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम मंदिर के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर श्यामला राव ने भी स्वीकार किया कि मंदिर की पवित्रता भंग हुई है। पिछली सरकार ने मिलावट की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाए थे। राव ने कहा था कि, जब मैंने टीटीडी की कार्यकारी अधिकारी का पदभार संभाला था, तो मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने खरीदे गए घी और लड्डू की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी।
राव ने कहा था, वह चाहते थे कि मैं यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाऊं। हमने इस पर मामले पर काम करना शुरू किया है। तब हमने पाया कि हमारे पास घी में मिलावट की जांच करने के लिए कोई आंतरिक प्रयोगशाला नहीं है। बाहरी प्रयोगशालाओं में भी घी की गुणवत्ता की जांच करने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा भगवान को चढ़ने प्रयोग किए जा रहे शुद्ध घी कीमत 320 रुपये रखी गई थी। जो संदेह पैदा कर रही थीं। शुद्ध घी की कीमत कम से कम 500 रुपये प्रति किलो होने चाहिए थी।
कैसे हुआ खुलासा?
आंध्र में जून में सत्ता परिवर्तन हुआ था। जिसके बाद चंद्रबाबू नायडू की पार्टी सत्ता में वापस आई है। मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने मंदिर के लड्डुओं में मिलावट की आशंका जाहिर की थी। जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने सप्लाई किए गए घी के सैंपल लेकर जांच के लिए गुजरात स्थित डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की लैब ‘सेंटर ऑफ एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूड’ (CALF) भेजे थे। जिसके बाद लैब की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए।
एनडीडीबी लैब की रिपोर्ट से पता चला कि शुद्ध घी में शुद्ध दूध में वसा की मात्रा 95.68 से लेकर 104.32 तक होना चाहिए था। लेकिन सैंपल्स में मिल्क फैट की वेल्यू 20 ही पाई गई थी। जिससे इस मिलावटी घी के बारे में खुलासा हुआ। जिसके बाद बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ। लैब की रिपोर्ट के मुताबिक इन सैंपल में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून का तेल, गेंहू, मक्का, कॉटन सीड, मछली का तेल, नारियल, पाम ऑयल, बीफ टैलो, लार्ड जैसे तत्व पाए गए हैं। इस घी को चेन्नई की AR डेयरी एंड एग्रो प्रोडक्ट्स नाम की कंपनी ने सप्लाई किया था।
कंपनी को सरकार की ओर से बैन कर दिया गया है। हालांकि कंपनी ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि, जून-जुलाई में जो घी हमने भेजा था। उसका सैंपल टेस्ट एफएसएसएआई और एगमार्क ने कलेक्ट किया था। टीटीडी की लैब में भी हमारा सैंपल पास हुआ था। मेरे घी में किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं है।