Swachh Bharat Mission’s Toilets Helped Slash Infant Deaths By 60-70k A Year, Study Estimates – Amar Ujala Hindi News Live

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Swachh Bharat Mission's toilets helped slash infant deaths by 60-70k a year, study estimates

स्वच्छ भारत मिशन
– फोटो : अमर उजाला नेटवर्क

विस्तार


स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए गए शौचालयों ने हर 60 हजार से 70 हजार शिशुओं की मृत्यु रोकने में मदद की है। एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई। 

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दरअसल, अमेरिका के ‘फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के शोधकर्ताओं की एक टीम ने 35 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और 600 से ज्यादा जिलों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण में साल 2000 से 2020 के बीच शौचालयों की उपलब्धता और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के बीच संबंध की जांच की गई। यह अध्ययन ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 

अध्ययन में पता चला कि अगर किसी जिले में शौचालयों की उपलब्धता 10 फीसदी बढ़ाई जाती है, तो इससे नवजात शिशुओं की मौत की दर में 0.9 फीसदी और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की दर में 1.1 फीसदी की कमी आती है। इसके अलावा, अगर किसी जिले में शौचालयों की उपलब्धता 30 फीसदी या उससे अधिक बढ़ाई जाती है, तो इसमें बच्चों की मौतों में उल्लेखनीय कमी देखी जाती है। 

 

इन शोधकर्ताओं ने कहा कि शौचालयों की उपलब्धता और बच्चों की मौतों के बीच एक विपरीत संबंध हैं। जिसका मतलब है कि जब शौचालयों की संख्या बढ़ती है, तो बच्चों की मौतें कम होती हैं। उन्होंने कहा कि यह स्वच्छ भारत मिशन के परिवर्तनकारी प्रभाव को दिखाता है।

शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि शौचालयों की उपलब्धता बढ़ाने के कई लाभ हैं, जैसे- महिलाओं की सुरक्षा, चिकित्सा खर्चों में कमी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार। हालांकि, इसके बावजूद जाति और धर्म आधारित भेदभाव के कारण शौचालयों को अपनाने और उपयोग करने में असमानताएं बनी रहती हैं। 

 

केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन 2 अक्तूबर 2014 को शुरू किया गया था। इसका मकसद देश की सड़कों, गलियों और बुनियादी ढांच को साफ रखना है। इस अभियान का एक प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच की समस्या को समाप्त करना और सभी ग्रामीणों को शौचालय प्रदान करना है। शहरी और ग्रामीण भारत में जुलाई 2024 तक करीब 12 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग ने भी इस अभियान की प्रगति की सराहना की है और कहा है कि 2019 तक 6.3 लाख गावों में 50 करोड़ लोग इससे लाभान्वित हुए हैं। 



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