सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
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सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक महत्त्वपूर्ण आदेश देते हुए उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को सही ठहराया है। अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें मदरसा एक्ट को गलत ठहरा दिया गया था। इससे मदरसों में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य को लेकर एक अनिश्चितता पैदा हो गई थी। सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से यूपी के लगभग 25 हजार मदरसों में पढ़ रहे करीब 20 लाख छात्रों पर सीधा असर पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के निवर्तमान चेयरमैन इफ्तिखार अहमद जावेद ने अमर उजाला से कहा कि मदरसा एक्ट को बनाना, उसमें बदलाव करना विधानसभा का अधिकार है। इसे किसी न्यायिक संस्था द्वारा निरस्त करना कानूनन सही नहीं था। उन्होंने कहा कि, ऐसा लगता है कि इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष सही तथ्य नहीं रखे गए और अदालत ने इस मामले पर सही रुख नहीं अपनाया जिसके कारण इस तरह की गलतफहमी पैदा हुई। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि अब मदरसा शिक्षा को गलत या गैर कानूनी कहना सही नहीं है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर कर मदरसा शिक्षा को गलत ठहराने की मांग की गई थी। याचिका में राज्य सरकार द्वारा धार्मिक शिक्षा के लिए धन आवंटित करने को संविधान के विरुद्ध बताया गया था। अदालत ने भी इस चिंता को सही पाया था और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अंततः इसे अवैध ठहरा दिया था। लेकिन इसकी अपील पर सर्वोच्च न्यायालय ने इसे सही ठहरा दिया है। यानी अब यूपी के सभी मदरसों में शिक्षा जारी रहेगी।
अपील में मदरसों में पढ़ रहे बच्चों को एक धार्मिक शिक्षा की ही जानकारी देने और अन्य आवश्यक आधुनिक शिक्षा से महरूम रखने के आरोप लगाए गए थे। लेकिन मदरसा शिक्षा बोर्ड का तर्क था कि शुरुआती शिक्षा समान होने के कारण सभी बच्चों को एक समान शिक्षा दी जाती है, लेकिन बाद में वे अपनी रुचि के अनुसार धार्मिक शिक्षा, विज्ञान या अन्य विषयों की ओर जा सकते हैं।
यूपी सरकार कर सकेगी बदलाव
इसके पूर्व एनसीपीसीआर के द्वारा भी मदरसों में हिंदू बच्चों को पढ़ाने को लेकर सवाल पैदा किए गए थे, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने इसे भी गलत ठहरा दिया था। यूपी सरकार भी मदरसों की शिक्षा के विरोध में नहीं थी, लेकिन सरकार इसके संचालन को लेकर चिंतित थी और कई बदलाव करना चाहती थी। चूंकि, सर्वोच्च अदालत ने भी मदरसा शिक्षा बोर्ड को बनाने, संचालन और नियमन का अधिकार राज्य सरकारों के अंतर्गत होना स्वीकार किया है, ऐसे में सरकार अब मदरसों में अपेक्षित बदलावों को लेकर कदम उठा सकेगी।
मदरसों को जाने बिना न करें विरोध
इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि, मदरसों में भी हिंदू बच्चे भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मदरसे कई बार ऐसे स्थानों पर भी काम कर रहे हैं, जहां सरकार की औपचारिक शिक्षा नहीं पहुंच पा रही है, ऐसे में बिना कोई विकल्प दिए मदरसों पर सवाल खड़े करना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मदरसों को जाने बिना उन पर सवाल खड़ा करना सही नहीं है।
राजनीति में न लाएं शिक्षा
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मोहम्मद आजम खान ने अमर उजाला से कहा कि कुछ लोग मदरसों को संकीर्ण मानसिकता के साथ देखते हैं। मुसलमान और मदरसों पर हमला करना एक राजनीतिक दल को अपने मतदाताओं को संतुष्ट करने के लिए सही लगता है, यही कारण है कि आजकल इस तरह के हमलों की बाढ़ आ गई है, लेकिन जिस तरह से सर्वोच्च न्यायालय ने मदरसों को सही ठहराया है, उससे यह साफ हो जाना चाहिए कि मदरसे भी उतना ही सही हैं, जितना कि कोई अन्य शिक्षण संस्थान। सपा नेता ने कहा कि शिक्षा को लेकर नकारात्मक राजनीति नहीं की जानी चाहिए।