झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन।
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत की मांग वाली अर्जी का विरोध किया। ईडी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हेमंत सोरेन राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। ईडी ने दलील दी कि एक राजनेता एक सामान्य नागरिक से अधिक विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकता। ईडी ने शीर्ष अदालत को बताया कि अगर सोरेन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है, तो जेल में बंद सभी राजनेता भी ऐसी मांग कर सकते हैं।
मंगलवार को सुनवाई
गिरफ्तारी के खिलाफ और अंतरिम जमानत के लिए सोरेन की अर्जी पर शीर्ष कोर्ट में अपने हलफनामे में जांच एजेंसी ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्य से यह साबित होता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता अवैध तरीके से संपत्तियां हासिल करने और उन पर कब्जा रखने में शामिल हैं। यह अपराध से अर्जित आय है। जस्टिस दीपांकर दत्ता की एक अवकाशकालीन पीठ सोरेन की गिरफ्तारी के खिलाफ और उनकी अंतरिम जमानत अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई करने वाली है।
सोरेन पर लगाए गंभीर आरोप
एजेंसी ने कहा कि पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) 2002 की धारा के तहत कई बयान दर्ज किए गए हैं, जिससे पता चलता है कि बरियातू में लालू खटाल के निकट शांति नगर में 8.86 एकड़ जमीन अवैध गैरकानूनी तरीके से हासिल की गई और यह हेमंत सोरेन के कब्जे एवं उपयोग में है। यह कृत्य गुप्त तरीके से किया गया।
ईडी ने दी यह दलील
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार अभियान के लिए सोरेन की अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने कहा कि यह गौर करना जरूरी है कि चुनाव में प्रचार करने का अधिकार न तो मूल अधिकार है ना ही संवैधानिक अधिकार या कानूनी अधिकार है। राज्य सरकार की मशीनरी का दुरूपयोग कर जांच को प्रभावित करने और अपने पिट्ठुओं के जरिए अपराध की आय को वैध साबित करने की सोरेन की ओर से कोशिश की जा रही।
31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था
झारखंड के मुख्यमंत्री पद से सोरेन के इस्तीफा देने के बाद कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में उन्हें 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था।