Skin Bank Ready In Rml, Will Start In September – Amar Ujala Hindi News Live

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Skin bank ready in RML, will start in September

आरएमएल
– फोटो : एएनआई

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एम्स व सफदरजंग अस्पताल के बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उत्तर भारत का तीसरा त्वचा बैंक शुरू होगा। इसे अस्पताल में बन रहे सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (एसएसबी) में तैयार किया जा रहा है। सितंबर से केंद्र में सुविधा शुरू हो जाएगी। इसको अस्पताल का बर्न्स प्लास्टिक मैक्सिलोफेशियल और माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी विभाग चलाएगा।

डॉक्टरों का कहना है कि केंद्र के शुरू होने के बाद गंभीर जलन, घाव या अन्य त्वचा संबंधित विकार से पीड़ित मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार शरीर पर त्वचा न होने के कारण उक्त विकार को ठीक होने में लंबा समय लग जाता है। इसके अलावा संक्रमण होने का भी खतरा रहता है। इसे रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्र पर त्वचा प्रत्यारोपण किया जाता है। ऐसा करने के बाद संक्रमण की रोकथाम के साथ विकार के ठीक होने की गति तेज हो जाती है।

बर्न्स प्लास्टिक मैक्सिलोफेशियल और माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी विभाग के प्रमुख व निदेशक प्रोफेसर डॉ. समीक भट्टाचार्य ने कहा कि अस्पताल में जल्द त्वचा बैंक शुरू होगा। बैंक को शुरू करने व त्वचा प्रत्यारोपण से संबंधित आवश्यक लाइसेंस लेने की प्रकिया चल रही है। यह बैंक एसएसबी में शुरू होगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि सितंबर माह में ब्लॉक के शुरू होने के बाद यह सुविधा शुरू हो जाएगी। बता दें कि देश में हर साल करीब 70 लाख लोग जल जाते हैं। इनमें से डेढ़ लाख मरीजों की मौत हो जाती है। इसका कारण संक्रमण होता है।

आरएमएल अस्पताल में तैयार हो रहे एसएसबी ब्लॉक को सितंबर माह तक शुरू करने की तैयारी है। अस्पताल के निदेशक डॉ. अजय शुक्ला ने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि यह सितंबर माह तक शुरू हो जाए। ब्लॉक के शुरू होने के बाद सभी सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं उक्त भवन में शिफ्ट हो जाएंगी। बता दें कि इस बहुमंजिला इमारत में कुल 800 बिस्तर हैं। इनमें 130 बिस्तर आईसीयू के मरीजों के हैं। ब्लॉक में किडनी, यूरोलॉजी, हृदय रोग न्यूरोलॉजी सहित 13 सुपर स्पेशियलिटी विभाग के मरीजों की ओपीडी और उन्हें भर्ती कर इलाज किया जा सकेगा।

कोई भी कर सकेगा त्वचा दान

डॉ. भट्टाचार्य का कहना है कि अस्पताल अपने स्तर पर त्वचा दान करवाएगा। इसमें कोई भी मृत व्यक्ति की त्वचा दान हो सकती है। वहीं अन्य डॉक्टर की माने तो 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की त्वचा नहीं ली जाएगी। वहीं 80 से अधिक उम्र के लोगों की त्वचा पतली हो जाती है। इस वजह से 80 वर्ष तक की उम्र के मृत व्यक्तियों का ही मौत के छह घंटे के अंदर त्वचा दान हो सकेगा। एचआइवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, त्वचा कैंसर, किसी प्रकार के गंभीर संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति का त्वचा दान नहीं हो सकता है। मृतक व्यक्ति के दोनों जांघ से त्वचा ली जाती है। करीब एक सप्ताह में दान में मिली त्वचा की प्रोसेसिंग होती है। इसके बाद से चार से पांच वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

किसी भी व्यक्ति को लगा सकेंगे त्वचा

डॉक्टरों की माने तो दान में मिले त्वचा को किसी को भी लगा सकते हैं। त्वचा प्रत्यारोपण के लिए डोनर व मरीज के ब्लड ग्रुप या एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) का मिलान करने की जरूरत नहीं पड़ती।



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