Shiv Sena Leaders Says Build Consensus Take Muslims Into Confidence On Waqf Bill – Amar Ujala Hindi News Live – Waqf Bill:वक्फ संशोधन विधेयक पर शिवसेना नेता की सलाह, बोले

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Shiv Sena leaders says Build consensus take Muslims into confidence on Waqf Bill

शिवसेना सांसद संदीपन भुमरे और शिवसेना नेता अर्जुन खोतकर।
– फोटो : एक्स

विस्तार


संसद में लाए गए वक्फ संशोधन विधेयक को शिवसेना के सांसद और अन्य नेताओं ने केंद्र सरकार को सलाह दी है। उनका कहना है कि वक्फ बिल में संशोधन से पहले आम सहमति बनाने की जरूरत है। साथ ही मुस्लिम समुदाय को विश्वास में लिया जाए। 

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जालना में हुए एक कार्यक्रम में शिवसेना सांसद संदीपन भुमरे ने कहा कि वक्फ अधिनियम में किसी भी संशोधन के साथ आगे बढ़ने से पहले आम सहमति के महत्व और मुस्लिम समुदाय को विश्वास में लेने पर जोर दिया जाए। 

शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर ने भी अधिनियम में बदलाव से पहले सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि वक्फ का मतलब मुसलमानों द्वारा समुदाय के कल्याण के लिए दान की गई संपत्ति है। पार्टी को किसी भी नकारात्मक धारणा से बचने के लिए मुस्लिम समुदाय को विश्वास में लेना चाहिए। यह संवेदनशील मुद्दा है और सरकार को मुसलमानों की भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए।

वहीं महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड (एमएसबीडब्ल्यू) के अध्यक्ष समीर काजी ने बोर्ड के लिए सरकार की ओर से दी गई वित्तीय सहायता के लिए सीएम एकनाथ शिंदे का आभार जताया। काजी ने कहा कि सरकार की बदौलत राज्य वक्फ बोर्ड में कर्मचारियों की संख्या 27 से बढ़कर 170 हो गई है। 

वक्फ बिल पर हुआ क्या? 

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक में मौजूद प्रावधानों का विरोध करने के बाद सरकार ने इसे जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की मांग की। 40 से अधिक संशोधनों के साथ, वक्फ (संशोधन) विधेयक में मौजूदा वक्फ अधिनियम में कई भागों को खत्म करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी परिवर्तन की बात कही गई है। इसमें केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है। इसके साथ ही किसी भी धर्म के लोग इसकी कमेटियों के सदस्य हो सकते हैं। अधिनियम में आखिरी बार 2013 में संशोधन किया गया था। विपक्षी दलों के विरोध के बीच सरकार ने गुरुवार को बिल संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की सिफारिश की गई। 







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