शेख हसीना
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय का कहना है कि उनकी मां ने देश छोड़ने से पहले किसी भी तरह से संबोधन की बात नहीं कही थी। आपको बता दें कि हाल ही में कई समाचार पत्रों ने शेख हसीना के बयान को प्रकाशित किया है। इनमें बताया गया है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़ने से पहले जनता को संबोधित करना चाहतीं थीं। खासतौर पर वे उन प्रदर्शनकारियों के नाम संदेश देना चाहतीं थीं, जिनके वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। अब शेख हसीना के बेटे जॉय ने इसका खंडन किया है।
शेख हसीना के बेटे जॉय ने क्या कहा?
अब शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, ‘हाल ही में एक अखबार में मेरी मां के नाम से प्रकाशित इस्तीफे का बयान पूरी तरह से गलत है। मैंने अपनी मां से इसे लेकर पुष्टि की है। उन्होंने ढाका छोड़ने से पहले या बाद में कोई बयान नहीं दिया है।’
शेख हसीना ने क्या कहा था?
अब भारत में 76 वर्षीय शेख हसीना में भारत में अपने करीबी सहयोगियों से यह खास बातें साझा की हैं। अपने पत्र में शेख हसीना ने अमेरिका पर बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन की योजना बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मौका मिला तो अपने संबोधन में ये बातें कहेंगीं। शेख हसीना ने कहा, ‘मैंने इसलिए इस्तीफा देने का फैसला लिया क्योंकि मैं और लोगों को मरते हुए नहीं देखना चाहती थी। वे छात्रों की लाश पर चढ़कर सत्ता हासिल करना चाहते थे लेकिन मैंने इसकी इजाजत नहीं दी। इस वजह से मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।’
‘मैं देश में रहती तो और लोगों की मौत हो सकती थी’
शेख हसीना ने आगे कहा, ‘अगर मैं देश में रहती तो और भी लोगों की मौत हो सकती थी। इस वजह में मैंने देश छोड़ने का फैसला लिया। आप लोग मेरी ताकत हैं। आप लोग मुझे नहीं चाहते थे इस वजह से मुझे देश छोड़ना पड़ा।’ शेख हसीना ने अपने संदेश में अपनी पार्टी के सहयोगियों से आगे कहा कि आवामी लीग ने हमेशा वापसी की है। उन्होंने कहा, ‘उम्मीद मत छोड़िए। मैं जल्द वापस लौटूंगी। मैं हार गई लेकिन बांग्लादेश की जनता जीत गई। वो लोग जिनके लिए मेरे पिता और मेरे परिवार के सदस्यों ने जान दे दी।’ आपको बता दें कि बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बीच आवामी लीग की नेता को इस्तीफा देना पड़ा था। शेख हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई।