Donald Lu
– फोटो : Amar Ujala
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अमेरिका के एक वरिष्ठ राजनयिक इस सप्ताह भारत और बांग्लादेश की यात्रा पर हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि राजनयिक की इस यात्रा का मकसद अमेरिकी साझेदारों के आर्थिक विकास का समर्थन करने और पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करना है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, लू भारत में दोनों देशों के बीच मौजूद 2+2 व्यवस्था से जुड़े वार्ता तंत्र की बैठकों में शरीक होंगे। साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर भारत के विदेश और रक्षा मंत्रालय अधिकारियों के साथ भी बातचीत करेंगे। इसके अलावा अमेरिकी दल दिल्ली में आयोजित हो रही यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल की अगुवाई में हो रही इंडिया आइडिया बैठक में भी शामिल होगा।
डोनाल्ड लू और उनके साथ आए वरिष्ठ अधिकारी 10 से 16 सितंबर तक भारत और बांग्लादेश के दौरे पर रहेंगे। बांग्लादेश में उनकी मुलाकात अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस से लेकर अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से होगी। इस दौरान उनके साथ अमेरिकी विकास सहायता एजेंसी यूएएड के प्रमुख भी होंगे।
डोनाल्ड लू अमेरिका के वही चर्चित राजनयिक है जिनका नाम बीते कुछ सालों के दौरान दक्षिण एशिया में हुए कई राजनीतिक बदलावों के दौरान उछलता रहा है। पाकिस्तान में अप्रैल 2023 में इमरान खान की सत्ता से हुई विदाई से लेकर अगस्त 2024 में शेख हसीना की सत्ता बेदखली तक कई बार उनका नाम चर्चाओं में रहा है।
दरअसल डोलाल्ड लू अमेरिकी विदेश विभाग में एसिस्टेंट सैक्रेटरी हैं और दक्षिण व मध्य एशिया मामलों को संभालते हैं। लिहाजा भारतीय उपमहाद्वीप के देशों में उनके दौरे और मुलाकातें सामान्य हैं। मगर डोनाल्ड लू का नाम तब जोरों से उछला जब 2022 में पाकिस्तान के तत्कानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका में अपने देश के राजदूत असद मजीद खान के गोपनीय केबल संदेश का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि उन्हें पद से हटाने की साजिश हो रही है। इमरान ने इसके लिए सीधे अमेरिका पर साजिश की उंगली उठाई। अमेरिका की तरफ से इन आरोपों को सिरे से खारिज किया गया। लेकिन कुछ ही हफ्तों में इमरान खान की सरकार पाकिस्तानी संसद में पेश अविश्वास प्रस्ताव से चली गई।
इमरान खान की तरफ से लगाए गए आरोपों पर जब अमेरिकी कांग्रेस की सुनवाई में डोनाल्ड लू से सीधे सवाल किए गए तो उन्होंने अपनी किसी भूमिका से साफ इनकार किया। हालांकि यह बात जगजाहिर है कि चीन और रूस के साथ इमरान खान की बढ़ती नजदीकियों को लेकर अमेरिका में नाराजगी थी। साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी और उसके बाद पाकिस्तान की भूमिका को लेकर भी कई त्योरियां चढ़ी थीं।
कुछ ऐसा ही घटनाक्रम बांग्लादेश में भी हुआ जब अमेरिका के साथ चल रहे रिश्तों के तनाव के बीच शेख हसीना को न केवल कुर्सी छोड़नी पड़ी बल्कि देश भी छोड़ना पड़ा। अगस्त 2024 में हुए राजनीतिक तख्तापलट से पहले मई 2024 में हुए लू बांग्लादेश दौरे पर गए थे। अमेरिका की तरफ से जनवरी 2024 में हुए बांग्लादेश के आम चुनावों और विपक्षी नेताओं को जेल में डालने के हसीना सरकार के फैसलों पर अमेरिका ने नाराजगी जताई थी। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि शेख हसीना के लिए संकेत अच्छे नहीं हैं।
हालांकि मई 2024 में डोनाल्ड लू ने ढाका में बांग्लादेश के तत्कालीन विदेश मंत्री डॉ हसन महमूद समेत हसीना सरकार के कई अधिकारियों से मुलाकात की थी। साथ ही अमेरिकी बयानों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति के लिए बांग्लादेश के साथ मिलकर काम करने की भी बात कही थी। इन बयानों के बाद लगा कि मामला सुलझ गया है और शेख हसीना के साथ तालमेल बन सकता है। लेकिन डोनाल्ड लू के बांग्लादेश दौरे के दो महीने में ही ढाका से लेकर चिटगांव तक उग्र छात्र आंदोलन खड़ा हो गया। आंदोलन का बवंडर ऐसे उठा कि उसने न केवल शेख हसीना राज को उखाड़ फेंका बल्कि बांग्लादेशी राजनीति की ही दिशा बदल दी।
अब बांग्लादेशी राजनीति की ताजा करवट के लिए डोनाल्ड लू की कोई जिम्मेदार है या नहीं है यह तो कई सालों बाद जब कूटनीतिक दस्तावेज जब डीक्लासिफाई होंगे तो पता चलेगा। लेकिन इतना साफ है कि अल्बानिया, किर्गिस्तान से लेकर पाकिस्तान और बांग्लादेश में अमेरिकी कूटनीति का स्टियरिंग संभाल चुके डोनाल्ड लू का नाम एक और सत्ता परिवर्तन से जुड़ गया है जिसको लेकर एक तबका अमेरिका पर ऊंगली उठा रहा है।