हर्षिल घाटी
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उद्यान विभाग की कश्मीर की तर्ज पर हर्षिल घाटी में केशर की खेती की योजना परवान नहीं चढ़ पाई है। एक ओर काश्तकारों का कहना है कि इसके उत्पादन के लिए अगर उन्हें उच्चस्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता है, तो सेब और राजमा के साथ यह आमदनी का स्रोत बन सकता है। वहीं, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि घाटी में केशर की खेती के अनुरूप जलवायु नहीं मिलने के कारण इसका उत्पादन नहीं हो पा रहा है।
प्रगतिशील किसान संजय पंवार ने बताया कि पहले चरण में इसका अच्छा उत्पादन हुआ, लेकिन दूसरी बार में इसके उत्पादन में 50 प्रतिशत का अंतर आ गया और तीसरे चरण में यह उत्पादित ही नहीं हुआ। उनका कहना है कि जलवायु एक कारण हो सकता है, लेकिन अगर काश्तकारों को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता तो केशर का उत्पादन हो सकता था। इसके साथ ही अगर यह हर्षिल घाटी में नहीं किया जा सकता है, तो इसे भटवाड़ी विकासखंड मुख्यालय के आसपास के गांवों में प्रशिक्षण देकर इसका अच्छा उत्पादन एक आर्थिकी के स्रोत के रूप में किया जा सकता है।