आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कुछ लोग भारत का विकास नहीं चाहते हैं। वह भारत की विकास यात्रा में बाधा बन रहे हैं। लेकिन इन लोगों से डरने की कोई जरूरत नहीं है। लेखक डॉ मिलिंद पराडकर द्वारा लिखित ‘तंजावरचे मराठे’ नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर मोहन भागवत ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी, लेकिन इसे धर्म और धार्मिकता की शक्ति का उपयोग करके निपटाया गया था।
भागवत ने कहा कि पुराने समय में भारत पर बाहरी आक्रमण बड़े पैमाने पर दिखाई देते थे, इसलिए लोग सतर्क थे लेकिन अब वे विभिन्न रूपों में प्रकट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब ताताका ने (रामायण में एक राक्षसी) ने हमला किया तो बहुत अराजकता फैल गई और वह केवल राम और लक्ष्मण के एक तीर से मारी गई। मगर पूतना जो शिशु कृष्ण को मारने के लिए भेष बदलकर आई थी। स्तनपान कराने वाली एक चाची बनकर जैसे ही उसने शिशु कृष्ण को मारना चाहा तो श्रीकृष्ण ने उसको मार डाला।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि आज की स्थिति भी वैसी ही है। आर्थिक, आध्यात्मिक, राजनीतिक हमले हो रहे हैं और वे हर तरह से विनाशकारी हैं। कुछ तत्व भारत के विकास की राह में बाधाएं पैदा कर रहे हैं और वैश्विक मंच पर भारत के उदय से भयभीत हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे।
मोहन भागवत ने कहा कि कुछ लोगों को डर है कि अगर भारत बड़ा हो गया, तो उनके कारोबार बंद हो जाएंगे। ऐसे तत्व देश के विकास के रास्ते में बाधा पैदा करने के लिए अपनी सारी ताकत झोंक रहे हैं। वे व्यवस्थित हमले कर रहे हैं, लेकिन उनसे डरने की जरूरत नहीं है। क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में भी ऐसी ही स्थिति थी तब भारत के उत्थान की कोई उम्मीद नहीं थी।
भागवत ने कहा कि जीवन शक्ति भारत को परिभाषित करती है। जीवन शक्ति राष्ट्र का आधार है और यह धर्म पर आधारित है जो हमेशा रहेगा। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सृष्टि की शुरुआत में धर्म था और अंत तक धर्म की आवश्यकता होगी।