Rj Assembly Session: Government Minister Clashed With Speaker Over Reading Written Answers – Amar Ujala Hindi News Live

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RJ Assembly session: Government minister clashed with speaker over reading written answers

राजस्थान विधानसभा सत्र।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


विधानसभा में प्रश्न का लिखित उत्तर पढ़ा जाए या नहीं इस पर आज सरकार के मंत्री सुमित गोदारा बहस में उलझ गए। स्पीकर ने इसी सत्र के पहले दिन यह व्यवस्था दे दी थी कि सदन में पूछे जाने वाले लिखित प्रश्नों के उत्तर पढ़े हुए माने जाएंगे और विधायक सीधे पूरक प्रश्न पूछेंगे। लेकिन बुधवार को संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने भी इस व्यवस्था का विरोध किया था। आज कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा इस मामले में सीधे स्पीकर से ही भिड़ गए। उन्होंने यह कहते हुए स्पीकर की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए कि ऐसे तो सब लिखा हुआ ही है फिर पढ़ने की क्या जरूरत है। मजे की बात यह है कि प्रतिपक्ष इस मामले में स्पीकर का पक्ष लेता नजर आया।

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नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने गोदारा को बीच में टोकते हुए कहा कि आप स्पीकर की व्यवस्था पर सवाल नहीं उठा सकते। इस पर गोदारा तैश में आ गए और बोले कि हम सदन का हिस्सा नहीं हैं क्या? हमको भी बोलने का अधिकार है। इसके बाद सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों तरफ से हंगामा होने लगा।

स्पीकर बोले कल मेरे पास कोई क्यों नहीं अया

स्पीकर ने दोनों पक्षों को शांत रहने के लिए कहा। उन्होंने गोदारा से कहा कि इस मामले में व्यवस्था दी जा चुकी है। इसलिए इस पर बहस नहीं होनी चाहिए। बुधवार को इसी मुद्दे पर सदन में करीब 8 मिनट तक हंगामा होता रहा। स्पीकर ने कहा कि कल जब मैंने कहा था कि जिसे इस व्यवस्था पर आपत्ति हो वह मेरे चैंबर में आकर मुझसे मिल सकता है। कल कोई भी नहीं आया। इसका मतलब किसी को इस व्यवस्था से आपत्ति नहीं है। फिर आज इस मामले में हंगामा क्यों किया जा रहा है।   

इस सवाल पर हुआ हंगामा

प्रश्नकाल में आज बीजेपी विधायक ललित मीना ने खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग से जुड़ा सवाल पूछा कि पांच सालों में राशन डीलरों के विरुद्ध कितनी शिकायतें मिली हैं?

क्या सरकार 100 क्विंटल गेहूं से ज्यादा गबन के आरोपी राशन डीलर्स को निलंबित कर नए राशन डीलर्स की नियुक्ति करने पर विचार रखती है?

मंत्री सुमित गोदारा इसका जवाब देने के लिए खड़े हुए, लेकिन स्पीकर ने मंत्री को यह कहते हुए बैठा दिया कि इसका जवाब पहले ही प्रश्नकर्ता के पास पहुंच चुका है। उन्होंने ललित मीणा से कहा कि आप पूरक प्रश्न करिए। इस पर गोदारा बोले कि प्रश्न करने वाले जवाब सुनना चाहते हैं इसलिए जवाब पढ़ने देना चाहिए। स्पीकर ने साफ मना कर दिया और कहा कि इस पर पहले ही व्यवस्था दी जा चुकी है। इसके बाद सदन में जोरदार बहस और हंगामा हो गया।

बुधवार को भी 8 मिनट तक इस पर चली बहस

लिखित उत्तर पढ़ा माना जाए या नहीं इस पर बुधवार को भी सदन में पूरे 8 मिनट तक बहस चलती रही। इस पर स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि सोमवार को सदन की स्वीकृति से तय कर चुका है कि प्रश्न का लिखित उत्तर सदस्यों के पास आ गया फिर उस लिखित उत्तर को सदन में पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। उस उत्तर को पढ़ा हुआ माना जाना चाहिए।

जोगाराम और दिलावर ने भी किया था विरोध

बुधवार को स्पीकर की व्यवस्था का संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी विरोध किया था। पटेल ने कहा था कि जब उत्तर सदन में नहीं पढ़ा जाता तो मंत्री का जवाब रिकॉर्ड पर नहीं आता है। ऐसी स्थिति में लिखित उत्तर पढ़ा जाना चाहिए। इस पर देवनानी जवाब दिया था कि लिखित उत्तर सभी सदस्यों के पास पहुंचता है। साथ में ऐसे में लिखित उत्तर नहीं पढ़ने से समय की बचत भी होती है। स्पीकर वासुदेव जब फिर से यह व्यवस्था दे रहे थे तो शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी बहस में कूद पड़े। उन्होंने कहा कि बहस में लिखित उत्तर पढ़ना जरूरी होना चाहिए। जोगाराम पटेल ने सदन के नियमों की किताब दिखाते हुए कहा कि इसमें भी लिखित उत्तर पढ़ने का उल्लेख है।



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