भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास ले लिया है। गुरुवार को कुवैत के खिलाफ फीफा विश्व कप क्वालिफायर का मैच उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच रहा। कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में खेला गया यह मैच गोलरहित ड्रॉ पर समाप्त हुआ।
भारत के महान खिलाड़ियों में शुमार छेत्री बचपन में बेहद शरारती थे। उन्हें बचपन में फुटबॉल का शौक नहीं था और एक अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए ही इस खेल को चुना था, लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था। आमदनी का जरिया कब उनकी जिंदगी बन गया, यह खुद छेत्री को भी पता नहीं चल सका।
SUNIL CHHETRI GETS GUARD OF HONOUR…!!! 🇮🇳
– The legend of Indian football has retired.pic.twitter.com/lDrPl6sv3o
— Mufaddal Vohra (@mufaddal_vohra) June 6, 2024
छेत्री के सैनिक पिता खारगा छेत्री हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी बने और वह हासिल कर सके जो वह खुद नहीं कर पाए। दिल्ली में सुनील ने फुटबॉल का ककहरा सीखना शुरू किया और सिटी क्लब से 2001-02 में जुड़े। इसके बाद वह मोहन बागान जैसे दिग्गज फुटबॉल क्लब के साथ 2002 में जुड़ गए। इसके बाद जो हुआ, वह भारतीय फुटबॉल के इतिहास में दर्ज हो चुका है। करीब 20 साल के स्वर्णिम करियर के बाद छेत्री ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कह दिया है।
भारत के लिए सबसे ज्यादा 151 मैचों में सबसे ज्यादा 94 गोल कर चुके छेत्री भारतीय फुटबॉल के गढ़ कोलकाता में खेल को अलविदा कहा। वह 2005 तक मोहन बागान के साथ रहे और 18 मैचों में आठ गोल दागे। इसके बाद भारत की अंडर 20 टीम और सीनियर राष्ट्रीय टीम से जुड़े।
उन्होंने 2005 में पाकिस्तान के क्वेटा शहर में पाकिस्तान के खिलाफ मैच से अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में डेब्यू किया। अब जब लगभग दो दशक के करियर के बाद सुनील छेत्री ने संन्यास लिया तो छेत्री सीनियर ने राहत की सांस ली है क्योंकि उनके बेटे ने उनका हर सपने को पूरा कर दिया है। छेत्री मौजूदा समय में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले चौथे खिलाड़ी हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय गोल के मामले में लियोनल मेसी तक को टक्कर दी थी। जब छेत्री और मेसी दोनों के गोल 60 से 80 के बीच थे, तो छेत्री ने कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन मेसी को पीछे छोड़ दिया था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में छेत्री के ज्यादा गोल नहीं कर पाने और अर्जेंटीना के फीफा विश्व कप के बाद अन्य दोस्ताना मैच और टूर्नामेंट खेलने से मेसी उनसे काफी आगे हो गए।
आंध्रप्रदेश के सिकंदराबाद में तीन अगस्त 1984 को जन्मे सुनील छेत्री को यूं तो फुटबॉल विरासत में मिला था। उनके पिता भारतीय सेना के लिए और मां सुशीला नेपाल की राष्ट्रीय टीम के लिए खेल चुकी थीं। भारतीय टीम में जगह बनाने के बावजूद अपने मजाकिया स्वभाव के लिए मशहूर छेत्री के लिये बहुत कुछ बदल गया जब तत्कालीन कोच बॉब हॉटन ने उन्हें 2011 एशियाई कप में बाईचुंग भूटिया के संन्यास लेने के बाद कप्तानी का जिम्मा सौंपा। उन्हें अचानक से मिली इस जिम्मेदारी ने बदलकर रख दिया।