बीकानेर में दिखी कैराकल कैट।
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लूणकरणसर के धीरेरां में खेत पर नजर आए बड़े से वन्यजीव को देखकर लोग हैरत में है। कोई इसे पैंथर बता रहा है तो कोई चीता। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल हो रहे वीडियो के बाद क्षेत्र के ग्रामीण आशंकित और दहशत में हैं।
लूणकरणसर के ग्रामीण इलाकों में वायरल हो रहे वीडियो को लेकर मुख्य वन संरक्षक शरथ बाबू ने बताया कि वीडियो में दिख रहा ये वन्यजीव ‘कैराकल कैट’ है। ‘कैराकल कैट’ आमतौर पर झाड़ियों वाले इलाकों में रहवास करती हैं। ये अक्सर रात को ही शिकार करने निकलती है। इसलिए ये हमें आसानी से नजर नहीं आती।
देश में चीते के बाद ‘कैराकल कैट’ विलुप्ति की कगार पर है। ‘कैराकल कैट’ का कई सालों बाद राजस्थान के रेगिस्तान में दीदार हुआ है। इसकी तस्वीरें सामने आने के बाद वन विभाग भी हैरान है, क्योंकि लंबे समय बाद ‘कैराकल कैट’ बीकानेर के रेगिस्तान में देखी गई है।
भारत में करीब 50 के आस पास ‘कैराकल कैट’
संयुक्त राष्ट्र के भूमि संरक्षण के सर्वोच्च सम्मान ‘लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड’ से सम्मानित पर्यावरणविद्ध प्रोफ़ेसर श्यामसुंदर ज्याणी ने तस्वीरें अपने फोन में कैद की हैं। ये दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली देश में महज़ अब कुछ ही संख्या में बची हैं। भारतीय वन्य जीव संस्थान के सर्वेक्षण के अनुसार भारत में करीब 50 के आस पास ‘कैराकल कैट’ ही बची हैं। 1952 में चीतों के लुप्त होने के बाद ये दूसरी बिल्ली है जो भारत में विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी है। IUCN (प्रकृति के संरक्षण के लिए संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची) ने इसे Red list में शामिल कर रखा है। भारत के संदर्भ में seriously endangered श्रेणी में शामिल किया है। CITES ने इसे appendix-1 में शामिल किया है और Indian Wildlife (protection) Act 1972 के तहत ये Schedule-1 का वन्य जीव है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस बिल्ली का बीकानेर के रेगिस्तानी इलाकों में दिखाना बड़ी उपलब्धि है।
तलाश में जुटी वन विभाग टीमें
इस ‘कैराकल कैट’ के दिखने के बाद वन विभाग की टीमें इसकी तलाश में जुट गई हैं, ताकि मालूम किया जा सके कि इस इलाक़े में ये इकलौती बिल्ली है या और भी बिल्लियां मौजूद हैं।
अविश्वसनीय उपलब्धि का पल
प्रोफेसर ज्याणी के अनुसार पारिवारिक वानिकी मुहिम के लिए यह अविश्वसनीय उपलब्धि का पल है। मुख्य वन संरक्षक शरथ बाबू ने बताया कि जिले के लूणकरणसर में केराकल कैट देखी गई है। यह लुप्त प्रायः प्रजाति है। ऐसे में इसका लूणकरणसर क्षेत्र में देखा जाना किसी चमत्कार से कम नहीं। ऐसे में इस लुप्त प्रायः हो रही प्रजाति के बीकानेर के लूणकरणसर क्षेत्र में देखें जाने पर पर्यावरण प्रेमियों ने प्रसन्नता जताई है। इसके लेकर तेलंगाना के PCCF & मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक मोहन परज़ाई, भारत के पूर्व पर्यावरण मंत्री और पर्यावरण संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष जयराम रमेश, केंद्रीय शिक्षा मंत्री जयंत चौधरी और UNCCD ने tweet किए हैं।