भजनलाल सरकार का पहला बजट।
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राजस्थान की नई भजनलाल सरकार का पहला बजट सत्र तीन जुलाई से प्रस्तावित है। माना जा रहा था कि सरकार 10 जुलाई को अपना बजट पेश करेगी, लेकिन अब एक अजीब स्थिति बन गई है। दरअसल केंद्र सरकार का बजट 25 जुलाई के आस-पास आना है। अब केंद्र के बजट से पहले राज्य सरकार बजट पेश करती है तो केंद्रीय बजट से इस वित्तीय वर्ष में मिलने वाली राशि का सही आकलन नहीं हो सकता है।
समस्या ये है कि मौजूदा सरकार का पहला बजट होने के चलते इसमें कई बड़े एलान होने हैं। सरकार ने अब तक पिछली सरकार की योजनाओं को बदला है। इसके अलावा नई योजनाओं का एलान भी करना होगा। इस सब के लिए नए सिरे से प्रावधान करने होंगे। यदि केंद्र की तरफ से राशि में कटौती ज्यादा हो जाती है तो उसी के अनुसार इन योजनाओं का खर्च भी घटना पड़ सकता है। ऐसे में बजट सत्र में विपक्ष इसे मुद्दा भी बना सकता है।
केंद्र के बाद क्यूं नहीं ला पाएगी राज्य सरकार बजट
केंद्र सरकार यदि जुलाई के अंतिम सप्ताह में बजट पेश करती है तो राज्य सरकार उसके बाद अपना बजट नहीं ला सकती है। इसके पीछे कारण ये है कि राज्य सरकार का बजट पारित होने में कम से कम 14 वर्किंग-डे लगते हैं। इसमें बजट पेश करने के बाद बजट पर बहस, वित्त मंत्री का रिप्लाई, कट मोशन व अनुपूरक अनुदान मांग जैसी प्रक्रियाएं पूरी करनी होती हैं। वहीं केंद्र सरकार में बजट पेश करने के बाद कट मोशन की प्रक्रिया संबंधित मंत्रालियों की कमेटियों को दी जाती है। इसलिए केंद्र सरकार का बजट जल्दी पारित हो जाता है।
विशेषज्ञों की राय
पूर्व वित्त मंत्री प्रद्युम्न सिंह: लाना होगा फुल बजट, बाद में हो सकते हैं बदलाव
राज्य सरकार जनवरी में वोट ऑन अकाउंट पेश कर चुकी है। कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री व पिछली गहलोत सरकार में राज्य वित्त आयोग के चेयरमैन रह चुके पूर्व विधायक प्रद्युम्न सिंह ने बताया कि वोट ऑन अकाउंट सिर्फ एक बार लिया जा सकता है वह भी लिमिटेड पीरियड के लिए। इसलिए अब सरकार को फुल बजट ही पेश करना होगा। हालांकि उनका कहना है कि केंद्रीय बजट में मिलने वाली राशि में घटत-बढ़त होती है तो इसे बाद में कम ज्यादा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान में बजट सिर्फ अनुमान होते हैं। इसलिए इसे बाद में संशोधित किया जा सकता है। हर बार राज्य सरकारें ऐसा करती भी हैं।
राज्य सभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी: अनुपूरक अनुदान मांगों में इसे संशोधित किया जा सकता है
राज्य सभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी का कहना है कि वोट ऑन अकाउंट सिर्फ एक बार ही लिया जा सकता है। इसमें कोई पॉलिसी डिसिजन भी नहीं होते और न ही घोषणाएं की जाती हैं। इसलिए केंद्रीय बजट देरी से भी आता है तो भी राज्य सरकार को पहले ही बजट पेश करना होगा। हालांकि बाद में अनुपूरक अनुदान मांगों में इसे संशोधित किया जा सकता है।