Punjab Lok Sabha Election
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कभी पटियाला की सियासत राजघराने के इर्द-गिर्द घूमा करती थी लेकिन, 2022 में पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की हार के बाद राजघराने को अपनी सियासत के लिए रियासत में घर-घर दस्तक देनी पड़ रही है। प्रतिद्वंद्वी दलों ने कैप्टन को विधानसभा चुनाव में हराने के बाद रानी परनीत कौर की घेराबंदी के लिए जिस तरह चालें चली हैं, यहां का चुनावी संग्राम दिलचस्प हो गया है।
पगड़ी, पेग और परांदा के लिए मशहूर पटियाला की खुली-चौड़ी सड़कें, हरे-भरे पार्क, हेरिटेज भवन और बड़ी-बड़ी बिल्डिंग शाही शान की गवाही देते हैं। महाराजा पटियाला के आलीशान निवास मोतीबाग पैलेस के पास एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड का काम कर रहे पूर्व फौजी जितेंदर सिंह कहते हैं कि महारानी कांग्रेस से लड़ती थीं।
इस बार भाजपा से आ गईं हैं, तो कांग्रेस की समस्या बढ़ गई है। कांग्रेस के पास उनके कद का दूसरा प्रत्याशी नहीं था, तो आम आदमी पार्टी से खफा होकर खुद की पार्टी बनाने वाले पूर्व सांसद धर्मवीर गांधी को ले आई। गांधी 2014 में परनीत को हरा चुके हैं, तो 2019 में उन्हीं से हारे भी।
उधर, सत्तारूढ़ आप ने राजघराने की सियासत को उसकी चौखट में कैद करने की बात कहकर सेहत कल्याण मंत्री बलवीर सिंह को उतारा है। भाजपा व शिरोमणि अकाली दल (ब) में गठबंधन न होने से नाराज सुखबीर सिंह बादल ने ताकतवर हिंदू प्रत्याशी एनके शर्मा को उतारकर राजघराने की चुनौती बढ़ा दी है। यहां लड़ाई चौकोनी है, मगर सब लड़ेंगे महारानी से ही।