Paralympics 2024: ‘you Are Not Afraid Of Winning Or Losing’, Pm Modi Said To Medal Winning Para Athletes – Amar Ujala Hindi News Live

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पैरालंपिक में इतिहास रचने वाले एथलीट्स से मुलाकात की। भारतीय पैरा एथलीटों ने पेरिस पैरालंपिक में रिकॉर्ड 29 पदक जीते थे, जिसमें सात स्वर्ण, नौ रजत और 13 कांस्य शामिल हैं। भारतीय दल मंगलवार को लौटा और प्रधानमंत्री मोदी ने उनका नई दिल्ली में अपने आवास पर अभिनंदन किया। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों से पैरालंपिक में उनके अनुभव साझा करने को कहा। साथ ही पीएम ने खिलाड़ियों का हौसला भी बढ़ाया।




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पुरूषों की चक्काफेंक एफ56 स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाले योगेश कथुनिया ने कहा, ‘प्रदर्शन में निरंतरता आपकी वजह से आई है। आपके द्वारा शुरू की गई योजनाओं की वजह से यह संभव हुआ। हर किसी के लिये पीएम का मतलब प्रधानमंत्री, लेकिन हमारे लिए आप परम मित्र हैं।’ इस पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं इस पर गर्व महसूस करता हूं। मैं भी आप सभी के साथ मित्र की तरह काम करना चाहता हूं।’


लगातार दूसरे पैरालंपिक में स्वर्ण जीतने वाले भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल ने कहा कि टोक्यो में स्वर्ण जीतने के बाद प्रधानमंत्री मोदी से किया वादा निभाकर उन्हें अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा, ‘यह मेरा लगातार दूसरा स्वर्ण पदक है। तब मैं टोक्यो से स्वर्ण जीतकर आया तो आपने मुझसे वादा लिया था कि ऐसे दो स्वर्ण और चाहिए। तो सर यह दूसरा स्वर्ण आपके लिए है। मैं थोड़ा नर्वस था लेकिन 20 अगस्त को आपसे बात करने के बाद मुझे प्रेरणा मिली। मैं अपनी टीम की ओर से आपको धन्यवाद देता हूं क्योंकि हमें लगा कि पदक के साथ लौटेंगे तो आपसे मिल सकेंगे, आपसे बात कर सकेंगे।’


पैरा जूडो में भारत को पहली बार कांस्य पदक दिलाने वाले कपिल परमार ने कहा, ‘मैंने 2021 से अब तक 16 प्रतिस्पर्धाएं खेली और कई पदक जीते। मेरा डर निकल गया था। कोचों को भी धन्यवाद दूंगा क्योंकि दृष्टिबाधित को संभालना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। उनके हाथ पकड़कर ही मुकाम तक पहुंचते हैं।’ प्रधानमंत्री मोदी ने पैरा एथलीटों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इससे लोगों का दिव्यांगों के प्रति नजरिया बदला है।


उन्होंने कहा, ‘ईश्वर ने आपको अतिरिक्त क्षमता दी है भले ही आपको कुछ शारीरिक परेशानी हो। आप जीत या हार से नहीं डरते। आप पर कोई बोझ नहीं है और यही आपका सबसे बड़ा गुण है। आपके जरिए मैं देश में सांस्कृतिक बदलाव देख रहा हूं। मैं लोगों के आपको देखने का नजरिया बदलना चाहता हूं। नजरिया बदल रहा है। आपके योगदान से समाज में बड़ा बदलाव आ रहा है। आपने सभी दिव्यांगों में यह भरोसा पैदा किया है कि वे किसी से कम नहीं है। पदक मायने नहीं रखता। आपको बहुत बधाई।’






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