Nitish From Bihar Is Not Trapped In Dynasty Politics But Could Not Escape From Casteism – Amar Ujala Hindi News Live

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Nitish from Bihar is not trapped in dynasty politics but could not escape from casteism

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल

विस्तार


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वंशवाद में तो नहीं फंसे, लेकिन जातिवादी राजनीति से बच नहीं पाए। समाजवादियों का उत्तराधिकारी बताने वाले नीतीश के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में मनीष कुमार वर्मा को चुनने की चर्चा को लेकर नीतीश की सोशल इंजीनियरिंग पर भी सवाल उठने लगे हैं।

दरअसल, मनीष वर्मा नालंदा के कुर्मी और कथित तौर पर नीतीश के दूर के रिश्तेदार हैं। मंगलवार को जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने मनीष वर्मा को जदयू कि सदस्यता दिलाई। इसके बाद से यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि नीतीश के उत्तराधिकारी मनीष वर्मा होंगे। जदयू में शामिल होने के बाद मनीष वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को अंधकार से निकलकर प्रकाश में लाए हैं। एक-एक क्षण बिहार और यहां के लोगों के विकास के बारे में सोचते हैं। जदयू में असली समाजवाद जिंदा है, बाकी में परिवारवाद हावी है। हालांकि, नीतीश समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव लालू प्रसाद रामविलास पासवान बीजू पटनायक और कांग्रेस के गांधी परिवार के परिवारवाद की राजनीति का विरोध करते रहे हैं। परिवारवाद के सख्त विरोधी नीतीश ने अपने बेटे निशांत को राजनीतिक विरासत नहीं सौंपी, पर जब उत्तराधिकारी चुनने की बात आई तो वह जातिवाद से बच नहीं सके। यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है। यह निर्णय न केवल कुर्मी समुदाय को सशक्त करेगा, बल्कि नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत को भी सुरक्षित रखेगा।

सीएम ने 2012 में प्रतिनियुक्ति पर बिहार बुलाया

मनीष ने 2000 में आईएएस ज्वाइन किया और उन्हें ओडिशा कैडर अलॉट किया गया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने ओडिशा के अकाल से पीड़ित जिला कालाहांडी में सेवा की और बाद में मलकानगिरी का डीएम बनाए गए। 2012 में नीतीश ने उन्हें अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति पर बिहार बुलाया और पूर्णिया और पटना का डीएम बनाया। 2017 में मनीष का डेपुटेशन समाप्त हुआ और उन्हें एक साल का विस्तार दिया गया। 2018 में भारत सरकार ने उन्हें ओडिशा वापस जाने का निर्देश दिया, लेकिन मनीष ने 18 साल की सेवा के बाद नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं ली क्योंकि उन्हें 20 साल की सेवा के बाद ही वीआरएस मिल सकता था। इस्तीफा देने के बाद मनीष को पेंशन नहीं मिली, लेकिन नीतीश ने तुरंत उन्हें बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का सदस्य बना दिया। बाद में उन्हें बुनियादी ढांचे के विकास पर सीएम का सलाहकार भी नियुक्त किया गया। 2022 में, नीतीश ने उनके लिए एक नई पोस्ट बनाई और उन्हें मुख्यमंत्री का अतिरिक्त सलाहकार बनाया।

भगदड़ के समय पटना के डीएम थे मनीष

मनीष का सबसे विवादास्पद समय तब आया जब वह 2014 में पटना के डीएम थे। ऐतिहासिक गांधी मैदान में रावण दहन के दौरान हुई भगदड़ में 33 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। बताया जाता है कि घटना के समय मनीष मौर्य होटल में अपने बेटे का जन्मदिन मना रहे थे। इसके बावजूद बिहार सरकार ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे यह संकेत मिला कि उनकी जाति और नीतीश के साथ उनके संबंध ने उन्हें बचा लिया।



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