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उत्तराखंड हाईकोर्ट – फोटो : अमर उजाला
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नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से लागू किए गए यूसीसी 2025 को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। अदालत ने राज्य सरकार को याचिकाओं में लगाए गए आरोपों पर छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
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भीमताल निवासी सुरेश सिंह नेगी ने याचिका दायर कर यूसीसी के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी थी। इसमें मुख्यतः लिव इन रिलेशनशिप का प्रावधान शामिल है। इसके अलावा, मुस्लिम, पारसी आदि के वैवाहिक पद्धति की यूसीसी में अनदेखी किए जाने सहित कुछ अन्य प्रावधानों को भी चुनौती दी गई है।
नेगी की जनहित याचिका में लिव इन रिलेशनशिप को असांविधानिक ठहराया गया है। याचिका में कहा गया कि जहां सामान्य शादी के लिए लड़के की उम्र 21 और लड़की की 18 वर्ष होनी आवश्यक है वहीं लिव इन रिलेशनशिप में दोनों की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गई है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि उनके बच्चे वैध माने जाएंगे या अवैध।
अगर कोई व्यक्ति लिव इन रिलेशनशिप से छुटकारा पाना चाहता है तो वह एक साधारण से प्रार्थनापत्र रजिस्ट्रार को देकर करीब 15 दिन के भीतर अपने पार्टनर को छोड़ सकता है, जबकि साधारण विवाह में तलाक लेने के लिए पूरी न्यायिक प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। दशकों बाद तलाक होता है, वह भी पूरा भरण-पोषण देकर।