कर्नाटक की सियासत में कथित मुडा घोटाला गरमाया हुआ है। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। वहीं, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल के इस फैसले का विरोध किया है। उधर, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन किया है।मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्यपाल के आदेश को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर.अशोक ने कहा, आज हम मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से इस्तीफा मांग रहे हैं। उन्होंने गरीब लोगों को लूटा है। इसलिए हम उनके और पूरी कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। यह सरकार कांग्रेस के हाई कमान के लिए एक एटीएम बन गई है। भाजपा नेता सी.टी. रवि ने कहा, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। मुडा घोटाला हुआ है, यह सबको मालूम है। राज्यपाल ने भारतीय संविधान के अनुसार आदेश दिया है। हम कांग्रेस को उनके विपक्ष में रहते हुए की गई बातें याद दिलाने आए हैं। राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है। इसलिए उनके आदेश का विरोध करना गलत है। राज्यपाल के आदेश के खिलाफ कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शिवमोगा में विरोध प्रदर्शन किया।
क्या है मुडा
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) का काम मैसूर में शहरी विकास को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचे का विकास करना और लोगों को किफायती कीमत पर आवास उपलब्ध कराना है। मुडा ने साल 2009 में शहरी विकास के चलते अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना 50:50 पेश की थी। इस योजना के तहत जिन लोगों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी, उन्हें मुडा द्वारा विकसित भूमि की 50 फीसदी जमीन के प्लॉट आवंटित किए जाएंगे। हालांकि साल 2020 में तत्कालीन भाजपा ने सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था। हालांकि योजना बंद होने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना को जारी रखा और इसके तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा।
मुख्यमंत्री की पत्नी का 50:50 योजना से क्या संबंध?
आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी की मैसूर में केसारे गांव में 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि थी, जो पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उपहार स्वरूप दी थी। मुडा द्वारा साल 2021 में पार्वती की जमीन को अधिग्रहित की गई। इसके बदले में एक महंगे इलाके में पार्वती को 14 साइटें आवंटित की गईं। आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी।
मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पत्नी पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर, मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है।
विपक्ष अनियमितता के लगा रहा आरोप
विपक्ष का आरोप है कि विजयनगर में जो साइटें आवंटित की गई हैं उनका बाजार मूल्य केसारे में मूल भूमि से काफी अधिक है। विपक्ष ने अब मुआवजे की निष्पक्षता और वैधता पर भी सवाल उठाए हैं। हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि 2021 में भाजपा शासन के दौरान ही विजयनगर में सीएम की पत्नी पार्वती को नई साइट आवंटित की गई थी।
आरोपों पर सीएम का क्या कहना है
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आवंटन का बचाव करते हुए कहा कि यह 2021 में भाजपा सरकार के तहत किया गया था। उन्होंने कहा कि विजयनगर में साइटें इसलिए दी गईं क्योंकि केसारे में देवनूर फेज 3 इलाके में साइटें उपलब्ध ही नहीं थीं। सिद्धारमैया के कानूनी सलाहकार एएस पोन्नन्ना ने दावा किया कि विजयनगर में मुआवजे वाली जगह का मूल्य केसारे में मूल जमीन से बहुत कम है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अनुसार, पार्वती सरकार से 57 करोड़ रुपये अधिक पाने की हकदार हैं, क्योंकि उन्हें मुआवजे के रूप में मिली भूमि की कीमत महज 15-16 करोड़ रुपये है, जो कि केसारे में उनकी मूल जमीन से बहुत कम है। पोन्नन्ना ने आगे बताया कि मुआवजा स्थल का क्षेत्रफल 38,284 वर्ग फीट है जबकि मूल भूमि 1,48,104 वर्ग फीट की थी। उन्होंने दावा किया कि पार्वती ने देरी से बचने के लिए विजयनगर साइट को चुना, भले ही इसका बाजार मूल्य कम था। सीएम सिद्धारमैया ने विपक्ष के आरोपों पर कहा कि, ‘अगर उन्हें लगता है कि यह कानून के खिलाफ है, तो उन्हें बताना चाहिए कि यह कैसे सही है। अगर जमीन की कीमत 62 करोड़ रुपये है, तो उन्हें प्लॉट वापस ले लेना चाहिए और हमें उसी के अनुसार मुआवजा देना चाहिए।’