सोमवार को अमेरिकी शेयर बाजार बुरी तरह फिसल गए। टैरिफ विवाद और संघीय सरकार के नीतियों की अनिश्चितता ने मंदी की आशंकाओं को हवा दे दी है। पिछले सप्ताह की तेज बिकवाली इस हफ्ते भी जारी रही। तीनों प्रमुख सूचकांक भारी गिरावट के शिकार हो गए। एसएंडपी 500 अब 19 फरवरी के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से 8% से अधिक नीचे है। वहीं नैस्डैक कंपोजिट दिसंबर के अपने शिखर से 10% से अधिक गिर चुका है। बाजार में आर्थिक अनिश्चितता, संभावित मंदी की आशंका और बढ़ते व्यापार तनाव ने बिकवाली का माहौल बनाया है जिससे निवेशकों को खरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है।
बाजार में आई गिरावट के कारण क्या हैं? कौन-कौन से बड़े शेयर टूटे हैं? भारतीय निवेशकों पर गिरावट का क्या असर पड़ेगा, जानिए सबकुछ
1. अमेरिकी बाजार को अब तक कितना नुकसान हुआ है?
सोमवार को डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 890 अंक या 2.1% की गिरावट के साथ 41,912 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 2.7% या 187 अंक गिरकर 5,615 पर आ गया। इसके साथ ही यह कारोबार के लिहाज से इस साल का सबसे खराब कारोबारी सत्र रहा। पिछले सप्ताह एसएंडपी में 3.1% की गिरावट आई, जो सितंबर के बाद से इसका सबसे खराब साप्ताहिक प्रदर्शन था। तकनीक शेयर प्रधान नैस्डैक को और झटका लगा, पिछले हफ्ते सुधार के बाद सोमवार को इसमें 728 अंक या 4% की गिरावट आई।
2. अमेरिकी बाजार में बिकवाली का क्या कारण है?
हालिया बिकवाली के कई कारण हैं। इनमें व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितता, संभावित मंदी का डर और ऊंचे स्टॉक मूल्यांकन से जुड़ी चिंताएं शामिल हैं। लाजार्ड के सीईओ पीटर ऑर्सजैग के अनुसार “कनाडा, मेक्सिको और यूरोप के साथ टैरिफ विवाद के कारण जो अनिश्चितता पैदा हुई है, वह बोर्ड्स और सी-सूट्स को अपने आगे के रास्ते पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रही है।”
3. किन शेयरों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है?
प्रौद्योगिकी शेयरों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। टेस्ला ने एक ही दिन में 125 बिलियन डॉलर का मूल्य खो दिया। इसके शेयरों में 15% से ज्यादा की गिरावट आई। जबकि अल्फाबेट, एप्पल और एनवीडिया के शेयरों में सभी में लगभग 5% की गिरावट दर्ज की गई। S&P 500 के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कुल मिलाकर 4.3% की गिरावट आई। इस बीच, डेल्टा एयरलाइन्स के शेयर में 14% की गिरावट आई। कंपनी ने अपनी पहली तिमाही के लाभ अनुमानों को घटाकर आधा कर दिया है, जिससके इसके शेयरों में गिरावट दिखी।
4. क्या निवेशक मंदी को लेकर चिंतित हैं?
हां, संभावित मंदी को लेकर निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई हैं। रविवार को साक्षात्कार में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मौजूदा स्थिति को “संक्रमण काल” बताया और मंदी की संभावना को खारिज नहीं किया। इसके बाद बाजार में निवेशकों की आशंका और बढ़ गई। जब फॉक्स न्यूज के “संडे मॉर्निंग फ्यूचर्स विद मारिया बार्टिरोमो” ट्रंप से पूछा गया कि क्या उन्हें इस साल मंदी की आशंका है, तो ट्रंप ने जवाब दिया, “मुझे ऐसी चीजों की भविष्यवाणी करना पसंद नहीं है। यह एक संक्रमण काल है क्योंकि हम जो कर रहे हैं वह बहुत बड़ा है।” बेयर्ड के निवेश रणनीतिकार रॉस मेफील्ड ने कहा, “ट्रम्प प्रशासन इस विचार को नहीं नकार रहा कि बाजार में गिरावट आ सकती है।
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5. व्हाइट हाउस ने बाजार में उथल-पुथल पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
हालांकि, व्हाइट हाउस ने मंदी की आशंकाओं पर अपना पक्ष रखा है। प्रशासन की ओर से कहा गया है कि बाजार में गिरावट के बावजूद अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के प्रमुख केविन हैसेट ने कहा, “अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर बहुत आशावादी होने के कई कारण हैं। लेकिन निश्चित रूप से, इस तिमाही में, डेटा में कुछ कमियां हैं।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि टैरिफ के बारे में अनिश्चितता जल्द ही हल हो जाएगी, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कर कटौती से निवेश और वास्तविक वेतन को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, निवेशक संशय में हैं, क्योंकि बाजार में चल रही अस्थिरता व्यापक चिंताओं को दर्शाती है।
6. अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट का भारतीय बाजार पर क्या असर?
अमेरिका शेयर बाजार में गिरावट और वहां की अर्थव्यवस्था में आई कोई भी मंदी भारतीय बाजार पर अपना असर छोड़ेगी। भारतीय बाजार पहले से ही वैश्विक अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के कारण दबाव में है। ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने आर्थिक विकास के बारे में अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। जिससे विदेशी पूंजी निकासी और भी तेज हो सकती है। विशेषज्ञ निवेशकों को घरेलू उपभोग से जुड़े शेयरों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि आईटी और फार्मा जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों में भारी अस्थिरता देखने को मिल सकती है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “निवेशक घरेलू उपभोग से जुड़े शेयरों पर ध्यान केंद्रित करके खुद को सुरक्षित कर सकते हैं। ये संभावित टैरिफ वॉर से प्रभावित नहीं होंगे। आईटी और फार्मा जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्रो ंपर अमेरिकी कार्रवाइयों से अस्थिरता आ सकती है।”
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7. अब निवेशकों को बाजार में कौन सी रणनीति अपनानी चाहिए?
निवेशक बाजार से जुड़े कई प्रमुख कारकों पर नजर बनाए हुए हैं। इसमें महंगाई से जुड़ी रिपोर्ट, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर फैसले और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए संभावित सरकारी उपाय शामिल हैं। निवेशकों के विश्वास में और गिरावट बाजारों को और भी नीचे धकेल सकती है। एजे बेल के एक निवेश विश्लेषक डैन कोट्सवर्थ के अनुसार निवेशक अमेरिकी इक्विटी के ऊंचे मूल्यांकन से चिंतित हैं। बाजार में सुधार के लिए वे एक सही मौके की तलाश कर रहे हैं।” बाजार में अस्थिरता के बीच निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और जोखिम को प्रबंधित करने के लिए अलग-अलग रणनीतियों पर बागे बढ़ना चाहिए।