मोहिंदर सिंह केपी
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शिरोमणि अकाली दल ने मोहिंदर सिंह केपी को मैदान में उतारकर सियासत को गर्मा दिया है। शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार मोहिंदर सिंह केपी की जालंधर में चुनाव लड़ रहे तीनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों से जगजाहिर हैं, जिसका असर आने वाले दिनों में प्रचार में देखने को भी मिलेगा।
मोहिंदर सिंह केपी जालंधर वेस्ट से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं और यहीं से जीतकर वह पंजाब विधानसभा तक पहुंचे और पंजाब के मंत्री भी रहे, लेकिन 2012 में उनके विधानसभा हलके में पार्षद सुशील रिंकू ने टिकट पर दावेदारी पेश कर केपी परिवार के लिए चुनौती खड़ी की।
केपी की पत्नी सुमन केपी तब चुनाव लड़ रही थी और वह चुनाव हार गई। इसका ठीकरा सुशील रिंकू के सिर पर फूटा कि उनके कारण हार हुई है। 2017 में रिंकू ने केपी का पत्ता कटवाकर जालंधर वेस्ट से टिकट हासिल कर ली और केपी को आदमपुर में चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया गया।
रिंकू तो जालंधर वेस्ट से कांग्रेस की टिकट पर जीत गए लेकिन केपी आदमपुर से हार गए। केपी कांग्रेस में हाशिये पर चले गए और रिंकू का बोलबाला दोआबा में बन गया। लिहाजा केपी अपनी सियासत में हाशिये पर जाने का जिम्मेदार रिंकू को मानते हैं। अब सियासत ने करवट ली है।