Lalu Yadav : Why Lalu Prasad Yadav Changed India Groom Rahul Gandhi News To Mamta Banerjee After Nitish Kumar – Amar Ujala Hindi News Live

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  • विपक्षी एकता की बैठक में लालू ने राहुल को कहा था- “हम बारात बनने को तैयार, आप दूल्हा बनिए”
  • विपक्षी दलों की बैठक नीतीश कुमार ने बुलाई थी, लेकिन संयोजक दिखने के बावजूद नहीं बनाए गए
  • महाराष्ट्र में भी कांग्रेस पिछड़ी और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने भाजपा को नियंत्रित किए रखा है
  • अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है, कांग्रेस के दबाव बनाने से पहले लालू ने चल दिया मोहरा
  • लालू प्रसाद यादव का मौके पर दिया बयान चर्चा में है। वह विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लुसिव एलायंस (INDIA Bloc) की कमान अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को देना चाहते हैं। देशभर में इस नाम पर अब विमर्श भी शुरू हो गया है। बयान आने लगे हैं। लालू ने इसके साथ नीतीश कुमार भी आपत्तिजनक टिप्पणी की। कहने के लिए उस मजाक के साथ कही गई इस बात को भी मजाक में उड़ाने वाला कह सकते हैं, लेकिन लालू को जानने वाले जानते हैं कि वह मजाक में भी गंभीर बात कहने के आदी हैं। विपक्षी दलों के पटना में महाजुटान के समय उन्होंने राहुल गांधी को ‘दूल्हा’ बनाने की बात कही थी, वही बाद में हुआ भी। राहुल ही लोकसभा में विपक्ष के नेता बने। लेकिन, अब सवाल उठ रहा है कि लालू यादव आखिर पलटे तो क्यों? वस्तुत: कई वजहें हैं।

    क्या लालू प्रसाद यादव बीमार हैं, इसलिए बोल जा रहे?

    लालू प्रसाद यादव बीमारी के नाम पर कोर्ट से छूट में भले हैं, लेकिन सक्रियता के हिसाब से वह बीमार नहीं हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन में रहते हुए जब पटना में देशभर के विपक्षी दलों का महाजुटान कर रहे थे, तब भी लालू बीमार नहीं थे। जब नीतीश कुमार महागठबंधन से निकल कर 2020 के जनादेश की वापसी कराते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के मुख्यमंत्री बने और बहुमत साबित करने में रोड़ा अटकाना था, तब भी लालू बीमार नहीं थे। लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के पक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वोट कराने की अपील करते समय भी वह बीमार नहीं थे। और, पिछले दिनों बिहार विधानसभा की चार सीटों के लिए हुए उप चुनाव के समय प्रचार करते हुए भी वह बीमार नहीं थे। इसलिए, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने उन्हें शारीरिक-मानसिक बीमार भले बताया, लेकिन वह बीमार नहीं हैं। उलटा, वह किसी भी अन्य नेता से ज्यादा सक्रिय और आगे की तैयारी में नजर आते हैं।

    पलटने की सबसे बड़ी वजह क्या हो सकती है, यह जानें

    लालू के ताजा बयान को मजाक में नहीं उड़ाया जा सकता है। वह हमेशा मजाक के बीच गंभीर बातें कहते रहे हैं। दरअसल, बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। यहां कांग्रेस उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में है। महागठबंधन में राजद के बाद कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस हर चुनाव में राजद पर दबाव बनाती है और पिछले चुनाव में भी ऐसा दिख रहा था। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह दो साल पूरे कर चुके हैं। इन दो वर्षों में उन्होंने कभी भी तेजस्वी यादव को ठीक से स्वीकार नहीं किया। जब महागठबंधन सरकार थी तो इस तनातनी के बीच वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कांग्रेस के लिए दो और मंत्री पद मांगते रह गए। सीएम तब तत्कालीन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पाले में गेंद फेंकते रहे। जब तक अखिलेश सिंह ने तेजस्वी से पटरी बैठाई, सरकार ही बदल गई। पुरानी बातें याद दिलाने की वजह यही कि कांग्रेस की दबाव की राजनीति को अभी ही लालू प्रसाद यादव नियंत्रित कर देना चाहते हैं। अगर राहुल गांधी इंडिया ब्लॉक के सर्वेसर्वा बने रहे तो वह बिहार में राजद पर दबाव बनाने में ज्यादा कारगर रहेंगे। इसके अलावा, झारखंड में कांग्रेस ने जिस तरह से झारखंड मुक्ति मोर्चा से मिलकर राजद के लिए सीटों का सूखा रखा, असर कुछ उसका भी है।

    नीतीश कुमार के कारण राहुल गांधी बन गए थे दूल्हा?

    कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी को विपक्षी एकता की बैठक में बुलाने के लिए तब नीतीश कुमार को लालू प्रसाद यादव की मदद लेनी पड़ी थी, यह बात सही है। इसके साथ यह भी पक्की बात है कि लालू प्रसाद यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव को तो बिहार की कमान दिलाना चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केंद्र में विपक्ष की राजनीति का सर्वोच्च पद नहीं देना चाहते थे। देना चाहते तो विपक्षी एकता के लिए हुई पहली बैठक के संयोजक नीतीश कुमार को यह पद उसी समय दे दिया गया होता। तब लालू प्रसाद यादव ने राहुल गांधी को कह दिया था- “आप दूल्हा बनने की तैयारी कीजिए, हम बारात जाने की तैयारी में हैं।” कहने को उन्होंने शादी की बात भी की थी, लेकिन उस मजाक के पीछे विपक्षी एकता के संयोजक का पद भी उन्हें देने की बात कह डाली गई थी। आगे की बैठकों में यह बात और साफ हो गई, जब लालू ने खुद राहुल गांधी को नेतृत्व करने के लिए कह दिया। नीतीश कुमार बाहरी तौर पर हर बार ऐसे किसी पद के लिए मना कर रहे थे, लेकिन जब लालू ने उनके मन की बात नहीं समझी तो उन्होंने कड़ा फैसला ले लिया। न नीतीश के हिसाब से विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम तय हुआ और न नीतियां। इसलिए, वह निकलकर वापस एनडीए में आ गए।

    ममता बनर्जी को आगे करने के पीछे कई कारण हैं

    लालू प्रसाद के हर कदम का गूढ़ मतलब होता है। राहुल गांधी को बुलाकर मटन पार्टी कराने के बावजूद जब लोकसभा चुनाव में उनका कोई प्रभाव नहीं नजर आया तो लालू प्रसाद दूसरी जगह संभावना तलाशने निकल पड़े हैं। उत्तर प्रदेश में उनकी दिवंगत मुलायम सिंह यादव के परिवार से नजदीकी रिश्तेदारी है और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने महाराष्ट्र में कांग्रेस की हालत सामने आने के बाद बाबरी मुद्दे के नाम पर कांग्रेस की सहयोगी उद्धव ठाकरे की पार्टी से नाता तोड़ा है। महाराष्ट्र में एक तरफ कांग्रेस पूरी तरह ध्वस्त होती दिखी, वहीं दूसरी तरफ बिहार से सटे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा पर हमेशा भारी पड़ रही हैं। ऐसे में लालू का ममता के प्रति समर्पण कोई अजूबा नहीं है। ममता जब पिछली दफा पटना आई थीं, तब भी उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से मिलने की जगह लालू प्रसाद यादव से मुलाकात को तवज्जो दी थी। मतलब, कहीं-न-कहीं सॉफ्ट कॉनर्र था जो मौके पर सामने आया है।



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