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कृति सेनन
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
कितनी भी तैयारी करके जाओ लेकिन अगर कलाकार भीतर से तैयार नहीं है तो फिर वही होता है जो सोमवार को गोवा में अभिनेत्री कृति सैनन के साथ हुआ। नेटफ्लिक्स की तरफ से प्रायोजित महिला सशक्तीकरण पर हुए एक कार्यक्रम में कृति ने वंशवाद पर चर्चा के दौरान कहा, “मुझे लगता है कि नेपोटिज्म के लिए इंडस्ट्री उतनी जिम्मेदार नहीं है। इसके लिए मीडिया और दर्शक भी जिम्मेदार हैं।”
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कृति सेनन
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
नई दिल्ली में जन्मी और जे पी इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद फिल्म जगत में कदम रखने वाली कृति सैनन की पहचान मुंबई में मैडॉक गर्ल के रूप में रही है। 10 साल पहले तेलुगु फिल्म ‘वन: नेनोक्कादिने’ और हिंदी फिल्म ‘हीरोपंती’ से फिल्म जगत मे कदम रखने वाली कृति सैनन कहती हैं, “जब से मैं यहां आई हूं, इंडस्ट्री ने मेरा बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया है। बेशक, जब आप किसी फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं होते हैं, तो आपको वहां पहुंचने में समय लगता है। आपको उन अवसरों को पाने में समय लगता है, जिनकी आपको चाहत होती है। आपको उन मैगजीन कवर पर आने में भी समय लगता है। इसलिए सब कुछ थोड़ा संघर्षपूर्ण है। लेकिन 2-3 फिल्मों के बाद, अगर आप कड़ी मेहनत करते रहें और अगर आप इसमें लगे रहें, तो कोई भी आपको रोक नहीं सकता।”
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कृति सेनन
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
कृति सैनन ने मैडॉक फिल्म्स के कर्ता धर्ता दिनेश विजन की बतौर निर्देशक इकलौती फिल्म ‘राब्ता’ में सुशांत सिंह राजपूत के साथ काम किया है। चर्चा के दौरान बात नेपोटिज्म पर भी आई। कृति कहती हैं, “मुझे लगता है कि नेपोटिज्म के लिए इंडस्ट्री उतनी जिम्मेदार नहीं है। इसके लिए मीडिया और दर्शक भी जिम्मेदार हैं। दर्शक देखना चाहते हैं कि मीडिया कुछ स्टार किड्स के बारे में क्या दिखा रहा है? दर्शकों की उनमें रुचि है, इसलिए इंडस्ट्री को लगता है कि चूंकि दर्शकों की रुचि है, इसलिए उनके साथ फिल्म बनाई जानी चाहिए। यह एक चक्र है। लेकिन अगर आप प्रतिभाशाली हैं, तो आप वहां पहुंच जाएंगे। अगर आप प्रतिभाशाली नहीं हैं, और अगर दर्शकों के साथ आपका जुड़ाव नहीं है, तो आप वहां नहीं पहुंच पाएंगे।”
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कृति सेनन
– फोटो : इंस्टाग्राम@kritisanon
अभिनय का सर्वोच्च सम्मान यानी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलाने वाली फिल्म ‘मिमी’ के बारे में कृति सैनन ने कहा कि फिल्म‘मिमी’ उनके अभिनय करियर में अब तक का सबसे साहसिक विकल्प रहा और उस जोखिम का उन्हें अच्छा परिणाम भी मिला। कृति कहती हैं, “मुझे कई लोगों ने इस फिल्म (मिमी) को न चुनने की सलाह दी थी। उन्हें डर था कि मुझे एक ऐसे अभिनेता का लेबल दिया जाएगा जो आर्ट हाउस फिल्मों को पसंद करता है और इससे मेरे पास आने वाले अन्य प्रोजेक्ट प्रभावित होंगे। फिर भी, मैंने इसे चुना क्योंकि इस स्क्रिप्ट ने मेरे दिल को छू लिया। और प्रोजेक्ट चुनते समय यह कारक सबसे अधिक मायने रखता है।”
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कृति सेनन
– फोटो : इंस्टाग्राम@kritisanon
भविष्य में एक सुपरवुमन का किरदार और कोई नकारात्मक किरदार निभाने की इच्छा जाहिर करते हुए कृति कहती हैं, “फिल्म ‘दो पत्ती’ में मेरी भूमिका कई परतों वाली रही है। फिल्म का घरेलू हिंसा का विषय भी मार्मिक है। फिल्म ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ में सीधे-सादे रोबोट की भूमिका निभाना उनके लिए मुश्किल था और उस भूमिका को लोगों ने खूब सराहा।” हाल की फिल्मों में महिलाओं द्वारा निभाए जा रहे नकारात्मक किरदारों और भूमिकाओं के बारे में चर्चा के दौरान कृति ने कहा कि दर्शक अब ग्रे किरदारों को पसंद करते हैं और उनसे अच्छी तरह जुड़ते हैं और आजकल ‘पुरुषों की नजर’ भी बदल रही है, इसके चलते ‘परफेक्ट’ लड़की या महिला पर निर्माता-निर्देशक उतना जोर देते नहीं हैं।
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