Kerala Wayanad Landslides News And Updates Rescue Operators Say Heavy Machinery Needed To Uncover Victims – Amar Ujala Hindi News Live

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Kerala Wayanad landslides news and updates Rescue operators say heavy machinery needed to uncover victims

वायनाड में भूस्खलन के बाद के हालात
– फोटो : पीटीआई

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केरल के वायनाड जिले में मंगलवार को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण अबतक 173 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हैं। यह आंकड़ा अभी और भी अधिक बढ़ सकता है। वहीं भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में सेना का राहत व बचाव कार्य जारी है। हालांकि, मुंडक्कई में बचाव टीम को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यहां टीम का कहना है कि भूस्खलन में उखड़े विशाल पेड़ों को हटाने के लिए भारी मशीनरी की आवश्यकता है। बता दें, इन पेड़ों के नीचे कई घर दबे हुए हैं। इस बीच, एक दिल छू लेने वाली कहानी सामने आई है। यहां दो बच्चों की मां निस्वार्थ भाव से उन शिशुओं को अपना दूध पिला रही है, जो आपदा में अपनी माताओं को खो चुके हैं। 

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महिला ने उठाया शिशुओं की मदद का बीड़ा

भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले से मौत और विनाश की दर्दनाक खबरों के बीच इडुक्की से यह दिल पसीजने वाली जानकारी सामने आई है। यहां दो बच्चों की मां निस्वार्थ भाव से उन शिशुओं को अपना दूध पिला रही है, जिन्होंने आपदा में अपनी माताओं को खो दिया है।

महिला, उसका पति और दो बच्चे, जिनकी आयु चार साल और चार महीने हैं, पहले ही मध्य केरल के इडुक्की में अपने घर से वायनाड के लिए रवाना हो चुके हैं। महिला ने पत्रकारों को बताया, ‘मैं दो छोटे बच्चों की मां हूं। मैं जानती हूं मां के बिना बच्चों की क्या हालत होगी। यह सब देखते हुए ही मैंने ये फैसला लिया।’

पति ने भी दिया साथ

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने अपने पति से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने भी इसका समर्थन किया। उनके पति ने कहा कि जब उन्होंने उन बच्चों के बारे में खबर सुनी, जिन्होंने अपने माता-पिता में से एक या दोनों को खो दिया है, तो वे मदद करना चाहते थे। इसलिए ही हमने मदद करने का फैसला लिया। 

बड़े पेड़ों को हटाने में आ रही परेशानी

वायनाड जिले के आपदाग्रस्त मुंडक्कई में जारी तलाश अभियान के बीच बचावकर्मियों का कहना है कि भूस्खलन में उखड़े विशाल पेड़ों को हटाने के लिए भारी मशीनरी की जरूरत है। इन पेड़ों के नीचे कई घर दब गए हैं।

इमारतों के नीचे दबे हो सकते हैं शव

एक बचावकर्मी ने बताया कि हम एक इमारत की छत पर खड़े हैं और नीचे से बदबू आ रही है, जो शवों की मौजूदगी का संकेत है। इमारत पूरी तरह से कीचड़ और उखड़े हुए पेड़ों से ढकी हुई है। अभियान के लिए खुदाई करने वाली मशीनें उपलब्ध हैं, लेकिन वे इस काम के लिए अपर्याप्त हैं।

उन्होंने आगे कहा, ‘विशाल पेड़ों को हटाने और ढह गई इमारतों में तलाश अभियान चलाने के लिए भारी मशीनरी की जरूरत है। तभी हम तलाश अभियान में प्रगति कर सकते हैं।’

भूस्खलन मंगलवार को तड़के करीब दो बजे और चार बजकर 10 मिनट पर हुआ। इस समय लोग सो रहे थे, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए। मूसलाधार बारिश के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन ने मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा की बस्तियों को तबाह कर दिया।







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