Jharkhand Minister Champai Soren Is Being Spying By His Own Government Alleges Assam Cm Sarma – Amar Ujala Hindi News Live

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Jharkhand minister Champai Soren is being spying by his own government alleges Assam CM Sarma

असम के सीएम का दावा
– फोटो : Amar Ujala

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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने झारखंड के मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि झारखंड की कैबिनेट में आज भी चंपई सोरेन मंत्री हैं। उन्होंने भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया है। जब तक वे इस्तीफा नहीं दे देते हैं, तब तक वे मंत्री हैं। इसके साथ वे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं। पहली बार चंपई सोरेन दिल्ली गए थे, फिर वे दोबारा 26 अगस्त को दिल्ली गए। दोनों बार अपनी टीम के साथ वे होटल में रुके थे। 

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आगे हिमंत ने बताया कि कल पता चला कि दोनों बार जब वे दिल्ली गए थे तो उनको झारखंड के स्पेशल ब्रांच के दो एसआई ने फॉलो किया। कल शाम में इन दोनों को लोगों ने पकड़ा गया और दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया। दिल्ली पुलिस को पूछताछ में पता चला कि आईजी प्रभात कुमार ने दोनों को इस काम पर लगाया था। प्रभात कुमार स्पेशल ब्रांच के ADGP भी हैं। अभी दोनों पुलिस हिरासत में हैं।

असम के सीएम ने चंपई सोरेन के फोन टैप होने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि चंपई का फोन भी टैप किया जा रहा हो। उन्हें ‘हनी ट्रैप’ में फंसाने की योजना भी बनाई जा रही हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि एक महिला भी दोनों एसआई से मिल रही थी। सरमा ने झारखंड के पूर्व सीएम के 30 अगस्त को भाजपा में शामिल होने की बात का जिक्र करते हुए दावा किया कि चंपई सोरेन की भाजपा के साथ बातचीत शुरू होने से पहले से ही निगरानी की जा रही थी।

इससे पहले चंपई सोरेन ने बीते दिन आधिकारिक तौर पर झामुमो छोड़ने और भाजपा में शामिल होने का एलान कर दिया था। एक्स पर एक पोस्ट में चंपई ने कहा कि उनके पास पार्टी में ऐसा कोई मंच नहीं बचा था, जहां वे अपनी पीड़ा खुलकर व्यक्त कर पाते। अपने पोस्ट में चंपई ने भाजपा को आदिवासी हितों के लिए काम करने वाली इकलौती पार्टी भी करार दिया।

क्या बोले थे चंपई सोरेन?

चंपई सोरेन ने कहा था, “पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही संन्यास लेने का विकल्प नकार दिया।”

उन्होंने आगे कहा, “पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं। आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।”

“आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा। पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है। राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा।”

भाजपा को बताया था आदिवासियों का हितैषी

चंपई सोरेन ने आगे कहा था, “इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है। इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है।”







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