Jharkhand High Court Orders Immediate Restoration Of Internet Services In State – Amar Ujala Hindi News Live – Jharkhand:इंटरनेट सेवाएं तुरंत बहाल करने का आदेश, उच्च न्यायालय ने कहा

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Jharkhand High court orders immediate restoration of internet services in state

झारखंड उच्च न्यायालय
– फोटो : एएनआई

विस्तार


झारखंड उच्च न्यायालय ने रविवार को राज्य सरकार को राज्य में बाधित इंटरनेट सेवाओं को तत्काल बहाल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति आनंद सेन और न्यायमूर्ति अनुभा रावत चौधरी की पीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी परीक्षा के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित न करे। गृह सचिव वंदना दादेल ने वह फाइल और मानक संचालन प्रक्रिया पेश की, जिसके तहत झारखंड सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (जेजीजीएलसीसीई) के आयोजन के लिए इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अधिसूचना जारी की गई थी। 

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व्यक्तिगत रूप से पेश हुईं गृह सचिव

गृह सचिव वंदना दादेल को पहले अदालत ने व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा था। दादेल द्वारा प्रस्तुत फाइल को अदालत ने अपने कब्जे में लेकर सुरक्षित रखने के लिए रजिस्ट्रार जनरल को सौंप दिया। फाइल की एक फोटोकॉपी गृह सचिव को सौंपने का आदेश दिया गया। झारखंड राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने अदालत को बताया कि सरकार ने अपनी अधिसूचना में संशोधन करते हुए 22 सितंबर को सुबह चार बजे से अपराह्न 3.30 बजे तक सभी इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं।

कृष्णा ने कहा कि यह जानकारी कुछ दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा अपने ग्राहकों को संदेशों के माध्यम से दी गई। इससे पहले, सरकार ने 21 सितंबर को अदालत को सूचित किया था कि जेजीजीएलसीसीई के संचालन के लिए उपभोक्ताओं का केवल मोबाइल डेटा अल्प अवधि के लिए निलंबित किया गया था। कृष्णा ने अदालत को बताया कि हालांकि राज्य सरकार ने अपनी अधिसूचना को रद्द कर दिया और संपूर्ण इंटरनेट सेवाओं को बाधित कर दिया।

सरकार ने आंशिक इंटरनेट बंद का बोलकर पूर्ण रूप से बंद किया

पीठ ने कहा कि अदालत ने 21 सितंबर को सरकार के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया, क्योंकि उसे बताया गया था कि केवल आंशिक इंटरनेट बंद था। अदालत ने कहा कि रविवार को दूरसंचार प्राधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने पूर्ण इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा, ‘राज्य की यह कार्रवाई इस अदालत द्वारा 21 सितंबर को पारित न्यायिक आदेश का उल्लंघन है, खासकर तब जब रिट याचिका अब भी लंबित है। यह अदालत के साथ धोखाधड़ी है और एक कपटपूर्ण कृत्य है।’

 



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