राख में तब्दील कबाड़खाना
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त्रिकुटा नगर रेलवे रोड स्थित मराठा बस्ती में भीषण आग लगने से 40 झुग्गियां खाक हो गईं। झुग्गियों के पास एक कबाड़खाने में भी आग लग गई। यह हादसा रविवार देर शाम को हुआ। बताया जा रहा है कि किसी एक झुग्गी में गैस सिलेंडर फटने और इससे लगी आग ने सभी झुग्गियों को अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है लेकिन बस्ती में रहने वाले 150 लोग बेघर हो गए। इन लोगों ने किसी तरह से अपनी जान बचाई।
जानकारी के अनुसार यह घटना शाम छह बजे की है। दरअसल, जिस वक्त आग लगी उस समय झुग्गियों में रहने वाले अधिकतर लोग दिहाड़ी लगाने के लिए गए हुए थे। कुछेक लोग ही मौजूद थे। ऐसे में आग के फैलते ही अफरा-तफरी मच गई। लोग किसी तरह से वहां से बाहर निकले और आसपास भाग गए। दमकल वाहनों के पहुंचते पहुंचते चारों तरफ धुआं फैल गया। झुग्गियों के आसपास स्थित घरों में रहने वाले लोग भी अपने घरों से बाहर आ गए। रात नौ बजे 20 दमकल वाहनों की मदद से आग पर काबू पाया गया। दरअसल, कबाड़खाने और झुग्गियों में गैस सिलेंडर, पेट्रोल और डीजल भी पड़ा हुआ था। इस वजह से आग सुलगती रही। रह रहकर लपटें निकलती रहीं।
दोनों तरफ से पानी फेंका, फिर जाकर बुझी आग
बताते चलें कि जहां आग लगी वहां एक तरफ से दमकल वाहन अंदर तक नहीं जा सके। इस वजह से दूर से ही आग पर काबू पाना पड़ा लेकिन इससे आग काबू में नहीं आ पाई। इसके बाद दमकल वाहनों को रेलवे लाइन की तरफ से घटनास्थल पर पहुंचाया गया। जब दोनों तरफ से पानी फेंका गया तो आग पर काबू पाया गया। आग बुझने तक एक भी झुग्गी नहीं बची और कबाड़ में रखा सामान भी जल गया।
सिर्फ बाहर भागने तक ही समय मिला
बता दें कि झुग्गियां मोम के तिरपाल से बना रखी थीं इसलिए आग लगते ही चंद मिनट में एक के बाद एक चपेट में आ गईं। बस्ती में रहने वाले सलाहुदीन ने बताया कि एक झुग्गी से दूसरी झुग्गी तक आग लगने ने सिर्फ इतना ही समय दिया कि वह बाहर निकल सकें। चंद मिनट में ही सबकुछ जल गया।
आंखों में आंसू लिए निकली महिलाएं
बस्ती में रहने वाली दो महिलाएं जब बाहर निकलीं तो उनका रो-रो कर बुरा हाल था। एक महिला ने बताया कि बड़ी मुश्किल से मेहनत मजदूरी कर सामान बनाया था। चंद मिनट में ही सबकुछ स्वाह हो गया। हालांकि स्थानीय लोगों ने उन्हें ढांढस बंधाया कि शुक्र करें कि उनकी जान बच गई।
पहले भी लग चुकी आग
बताते चलें कि जम्मू के मराठा बस्ती में पहले भी कई बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। यहां रहने वाले लोगों ने अपनी झुग्गियों को इस तरह से बना रखा है कि एक चिंगारी सबकुछ जला दे। झुग्गियों के आसपास बिजली की तारों का जाल तक बिछा हुआ है जिनसे अकसर चिंगारियां निकलती हैं।
रिहायशी इलाके में कबाड़खाना नहीं होना चाहिए
स्थानीय लोगों ने कहा कि रिहायशी इलाके में कबाड़खाना होना ही नहीं चाहिए। इसकी कोई अनुमति भी नहीं है। ऐसे कबाड़खाने स्थानीय लोगों के लिए खतरा हैं।