{“_id”:”679c4f1403efa2c109034d8e”,”slug”:”jaipur-literature-festival-2025-sudha-murthy-shares-insights-on-how-her-childhood-shaped-her-journey-2025-01-31″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Jaipur Literature Festival 2025 : बचपन को जाने बिना आज की सुधा मूर्ति नहीं बन सकती थी, JLF में विचार साझा किए”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
राजस्थान – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) 2025 में प्रसिद्ध लेखिका और समाजसेवी सुधा मूर्ति ने अपनी नई पुस्तक ‘कोकोनट एंड बर्फी’ पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने परिवार, बचपन, जिज्ञासा और खुश रहने के छोटे-छोटे तरीकों पर अपने विचार साझा किए।
Trending Videos
सुधा मूर्ति ने कहा कि आज के दादा-दादी और नाना-नानी टीवी सीरियल्स और बनावटी कहानियों में व्यस्त रहते हैं, जबकि असली पारिवारिक मूल्यों को समझना और उन पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जीवन में खुश रहने के लिए बड़ी वजह की आवश्यकता नहीं होती।
उन्होंने कहा कि जब आपके मन में कुछ नया सीखने की इच्छा और जिज्ञासा हो, तो वही बचपना है। मैं कभी 70 साल की सुधा मूर्ति नहीं बन सकती यदि मैंने अपने 8 साल के बचपने को नहीं जाना।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। बच्चे न केवल पढ़ाई से बल्कि अपने आसपास की दुनिया से भी बहुत कुछ सीखते हैं। यदि हम अपनी जिज्ञासा को बनाए रखें, तो उम्र के बावजूद नई चीजें सीख सकते हैं।
सुधा मूर्ति ने कहा, खुश रहने के लिए बड़ी वजह की जरूरत नहीं होती। हर छोटी चीज को एंजॉय करना ही असली खुशी है। उन्होंने यह भी बताया कि छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढने की आदत जीवन को सुंदर बनाती है।
भारतीय संस्कृति और साहित्य की समृद्धता पर चर्चा करते हुए सुधा मूर्ति ने कहा, विदेशों में गिनी-चुनी कहानियां होती हैं, जबकि भारत में हर चीज हमारी संस्कृति को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि भारतीय कहानियों और परंपराओं की विविधता हमें अपनी पहचान पर गर्व करने का अवसर देती है।