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इस्राइल और हमास का हिंसक संघर्ष एक साल से अधिक समय से चल रहा है। हिंसक संघर्ष के दौरान 42 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कई नागरिक हमास के चंगुल में फंसे हैं। अमर उजाला संवाददाता आशीष तिवारी इस्राइल के सबसे बड़े शहर तेल अवीव में जमीनी हकीकत का जायजा लेने पहुंचे। इस्राइल की धरती से जानिए क्या है ग्राउंड रिपोर्ट
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इस्राइली सेना के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
इस्राइल-हमास संघर्ष बीते साल सात अक्तूबर को शुरू हुआ था। एक साल से अधिक समय बीतने के बाद दोनों पक्षों के हिंसक संघर्ष में 42 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इस्राइल पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत हमास ने कई नागरिकों को बंधक बना रखा है। ताजा घटनाक्रम में तेल अवीव स्थित इस्राइली डिफेंस फोर्स (IDF) के मुख्यालय प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बंधकों को तत्काल रिहा करने की मांग की। इस्राइल की धरती पर जमीनी हकीकत का जायजा लेने पहुंचे अमर उजाला संवाददाता आशीष तिवारी ने स्थानीय लोगों से बात भी की। उन्होंने बताया कि प्रदर्शन कर रहे लोग 25 घंटे के बाद सड़क पर उतरे हैं।
देशभर में प्रदर्शन करने की चेतावनी
आक्रोशित लोगों की मांग है कि एक साल से अधिक समय से हमास के चंगुल में फंसे बंधकों को तत्काल रिहा कराने के लिए इस्राइली सेना और सरकार को तत्काल सभी जरूरी उपाय करने चाहिए। IDF मुख्यालय के बाहर हजारों की संख्या जमा लोगों ने बंधकों को रिहा कराने की मांग के साथ देशभर में प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी। स्थानीय लोगों ने बताया कि धार्मिक रूप से अहम यौम किप्पुर के कारण बीते 25 घंटे से प्रदर्शन नहीं किए गए, लेकिन अब एक बार फिर जनता सड़कों पर उतर आई है। बंधकों की सकुशल रिहाई होने तक प्रदर्शन जारी रहेगा।
स्थानीय लोग भी तलाशी के बाद ही घुस पाते हैं शहर में
गौरतलब है कि एक साल पहले सात अक्तूबर को हमास की बर्बरता की शुरुआत के बाद से ही इस्राइल में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है। स्थानीय निवासियों को भी तलाशी के बाद ही शहर में प्रवेश मिल पाता है। सेडरट और रीम इलाके में स्थानीय लोगों की गाड़ियों से ज्यादा सुरक्षा एजेंसियों की गाड़ियां ही नजर आईं। सुरक्षा के इंतजामों के हालात यह है कि शहर में घुसने से पहले ही आपको अपनी पूरी तलाशी देनी पड़ती है। इसके अलावा कदम कदम पर सुरक्षा के लिए इस्राइल डिफेंस फोर्स के अधिकारी और जवान मुस्तैद रहते हैं। इस पूरे इलाके के ज्यादातर कस्बों में घूमने के दौरान लोगों ने बताया पिछले साल हमास के हुए हमले के बाद सुरक्षा के इतने कड़े बंदोबस्त हैं कि स्थानीय निवासी भी अब सामान्य पूछताछ और तलाशी के बाद ही शहर में नहीं घुस पाते हैं।