India Saw Drop In Particulate Pollution In 2022 Adding Days To Life Expectancy Claim Report – Amar Ujala Hindi News Live

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india saw drop in particulate pollution in 2022 adding days to life expectancy claim Report

प्रदूषण के स्तर में गिरावट का मिला फायदा
– फोटो : अमर उजाला

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भारत में प्रदूषण के एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। अब एक नई रिपोर्ट में जो दावा किया गया है, उससे हम भारतीयों को राहत जरूर मिलेगी। दरअसल रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2021 की तुलना में 2022 में भारत में कणीय प्रदूषण (Perticulate Pollution) में 19.3 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है। यह बांग्लादेश के बाद दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी कमी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रदूषण में इस कमी से देश के नागरिकों की जीवन प्रत्याशा में 51 दिनों की बढ़ोतरी हुई है। 

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प्रदूषण से औसत जीवन के दिन घटने का खतरा

शिकागो विश्वविद्यालय (ईपीआईसी) में ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा ‘वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक-2024’ शीर्षक से वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक पीएम 2.5 सांद्रता मानक 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पूरा करने में विफल रहता है, तो भारतीयों की जीवन प्रत्याशा में 3.6 वर्ष की कमी आने की आशंका है। शोधकर्ताओं ने भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में कणीय प्रदूषण में गिरावट का श्रेय मुख्य रूप से अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों को दिया है। देश में इन दिनों जमकर बारिश हो रही है, जिसके चलते भी प्रदूषण में गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2022 में PM 2.5 सांद्रता लगभग 9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी, जो 2021 की तुलना में 19.3 प्रतिशत कम है।

इन जिलों में प्रदूषण में आई बड़ी गिरावट

कणीय प्रदूषण में सबसे बड़ी गिरावट पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और बांकुरा जिलों में देखी गई, इसके बाद झारखंड के धनबाद, पूर्वी, पश्चिम सिंहभूम और बोकारो जिले हैं। इनमें से प्रत्येक जिले में, PM2.5 सांद्रता में 20 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक की गिरावट आई। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के सबसे प्रदूषित क्षेत्र उत्तरी मैदानों में 2021 की तुलना में 2022 में कणीय प्रदूषण के स्तर में 17.2 प्रतिशत की कमी देखी गई। हालांकि, इस सुधार के बावजूद, अगर मौजूदा प्रदूषण स्तर जारी रहता है, तो इससे लोगों के औसत जीवन में अभी भी लगभग 5.4 वर्ष की कमी आने की संभावना है। दूसरी ओर, अगर आने वाले वर्षों में कणीय प्रदूषण के स्तर में गिरावट इसी दर से जारी रहती है, तो उत्तरी मैदानों में जीवन प्रत्याशा 1.2 वर्ष बढ़ सकती है।

सरकार की नीतियों को भी सराहा

रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2019 में गुजरात में प्रदूषण की रोकथाम की पहल शुरू की थी। इसका असर दिखने लगा है और सूरत में प्रदूषण को 20-30 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस प्रकार की अभिनव नीतियां दिखाती हैं कि आर्थिक विकास को अनावश्यक रूप से बाधित किए बिना भी वायु गुणवत्ता और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हासिल करना संभव है। रिपोर्ट में भारत सरकार की योजना प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की भी प्रशंसा की गई है, जिसमें कहा गया है कि भारत में आवासीय क्षेत्र से उत्सर्जन में कमी का श्रेय काफी हद तक इस योजना के राष्ट्रव्यापी रोलआउट को दिया जा सकता है। इसने परिवहन से संबंधित उत्सर्जन में कमी का श्रेय परिवहन क्षेत्र में डीजल के कम उपयोग को दिया।







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