Independence Day Operation Sujaligala Hero K9 Dog Gets President Bravery Award Had Saved Handler Life – Amar Ujala Hindi News Live

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Independence Day operation Sujaligala hero K9 dog gets President bravery award had saved handler life

K9 Dog
– फोटो : Amar Ujala

विस्तार


देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बार जब भारतीय सेनाओं के जांबाजों को दिए जाने गैलेंट्री अवॉर्ड्स की घोषणा की, तो उनमें से एक नाम बेहद चौंकाने वाले था। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकियों के खिलाफ सेना के ‘ऑपरेशन सुजालीगाला’ की ‘हीरो’ रही मादा लैब्राडोर केंट को भी मरणोपरांत राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से नवाजा गया है। केंट ने पिछले साल 11 सितंबर को आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान अपनी जान गंवाई थी। उस समय केंट सैनिकों की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रही थी। 

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अपने हैंडलर की बचाई थी जान

नौ आतंकवाद विरोधी अभियानों में हिस्सा लेने वाली केंट पिछले साल सितंबर में जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के नारला गांव में तीन दिन से चल रहे ऑपरेशन में केंट भी शामिल थी। राजौरी सेक्टर में रोमियो फोर्स की आरआर यूनिट में तैनात केंट ने ‘ऑपरेशन सुजलीगाला’ का नेतृत्व किया था। वह सैनिकों की टुकड़ी के साथ आतंकवादियों के एक ग्रुप का पीछा कर रही थी, तभी आतंकियों ने भागते हुए उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। सेना की 21वीं आर्मी डॉग युनिट (के9) की छह साल की लैब्राडोर केंट की मौत पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि वह भाग रहे आतंकवादियों का पीछा कर रहे सैनिकों की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रही थी। आतंकवादी जब गोलियां चला रहे थे, तब भी वह हमला करने के लिए आगे बढ़ी। इस दौरान अपने हैंडलर को बचाते हुए गोलीबारी में उसकी मौत हो गई।

आर्मी चीफ ने भी जताया था शोक

केंट 39 मेंशन-इन-डिस्पैच में शामिल थी, या जिनके नाम वीरता के लिए स्वीकृत किए गए थे। केंट ने अपने हैंडलर की रक्षा करते हुए भारतीय सेना की सर्वोत्तम परंपराओं में अपना जीवन कुर्बान कर दिया। आतंकियों के साथ इस मुठभेड़ में एक जवान शहीद हुआ था, जबकि तीन सुरक्षाकर्मी जख्मी हो गए थे। वहीं, सुरक्षा बलों ने भी तीन आतंकियों को मार गिराया था। उसकी दुखद मृत्यु पर तत्कालीन सेना की उत्तरी कमान के कमांडर और मौजूदा आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी शोक जताया था। उन्होंने कहा था कि हमारी केंट ने अपने हैंडलर को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। उसने सबसे पहले आगे बढ़कर आतंकवादी पर हमला किया।   

सेना ने तिरंगे में लपेटा था उसका पाार्थिव शरीर 

भारतीय सेना ने केंट की मौत पर उसकी ट्रेनिंग का एक वीडियो भी जारी किया था। वीडियो में केंट को एक नकली संदिग्ध की तलाश में सेना के एक जवान के साथ दौड़ते हुए दिखाया गया था। वह अपने लक्ष्य को आसानी से पूरा करने में सक्षम थी, जो उसके काम के प्रति समर्पण को दर्शाता है। सेना ने केंट को औपचारिक विदाई देते हुए उसके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा था और उस पर पुष्पचक्र अर्पित किया था। सेना ने एक प्रेस ब्रीफ जारी कर बताया था कि गोल्डन कलर की ट्रैकर केंट का आर्मी नंबर 08बी2 था। उसने 14 नवंबर, 2022 को पुंछ लिंक अप दिवस पर अपने पहले ऑपरेशन में भाग लिया था। इसके बाद 2022 में ही 30 दिसंबर को उसे ऑपरेशन में शामिल किया गया था। फिर उसने 27 जनवरी 2023, 11 सितंबर 2023 को तलाशी अभियान और 4 अप्रैल 2023 को चोरी के एक मामले की जांच में हिस्सा लिया था। 

सम्मान पाने वाली मानसी थी पहली के9 सोल्जर

के9 सोल्जर्स को अपनी असाधारण बहादुरी से न केवल सेना कमांडरों का दिल जीत चुके हैं, बल्कि उन्हें कई बार प्रशंसा पत्र भी दिए गए हैं। चार साल की लैब्राडोर मानसी पहली ऐसी के9 सोल्जर थी, जिसे मरणोपरांत बैटल ऑनर्स के लिए चुना गया था। मानसी और उसके हैंडलर बशीर अहमद वार ने 2015 में उत्तरी कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिश को रोकने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। 

2022 में सेना के विशेष हमलावर के9 दस्ते की बेल्जियन मालिनोइस नस्ल की दो वर्षीय एक्सल को भी मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया था। कश्मीर के बारामूला में एक आतंकवादी ने उसे गोली मार दी थी। उस ऑपरेशन में, बजाज नाम का एक डॉग भी था, आतंकी भागते हुए बारामूला के वानीगाम बाला में एक इमारत में छुप गए थे और बजाज को उनकी तलाशी लेने के लिए भेजा गया था। इमारत के पहले कमरे को सेनिटाइज करने के बाद एक्सल को तैनात किया गया। जैसे ही वह दूसरे कमरे में दाखिल हुई, एक आतंकवादी ने गोलीबारी शुरू कर दी। गोली लगने के बावजूद एक्सल ने उसे थामे रखा और उसकी बहादुरी ने सैनिकों को बचा लिया क्योंकि सीधे अंदर जाना जोखिम भरा था।

एनआईए की चार्जशीट में डॉग पर पूरी एक चैप्टर

एनआईए की नगरोटा आर्मी बेस पर हमले की चार्जशीट में एक पूरा चैप्टर लैब्राडोर डिनो की वीरता को समर्पित है। उसने न केवल जांच एजेंसी को आतंकियों के ठिकाने तक पहुंचाने में मदद की, बल्कि जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादी जिस रास्ते से घुसे थे, उसका भी पता लगाया। भारतीय सेना में मुख्य रूप से जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर, बेल्जियम शेफर्ड और ग्रेट स्विस माउंटेन जैसी विदेशी नस्लों के कुत्ते हैं, जिन्हें रिमाउंट और वेटनरी कोर (आरवीसी), मेरठ में ट्रेनिंग दी जाती है। 

पहले मार दी जाती थी गोली

वहीं, 2017 तक सेना में रिटायरमेंट के बाद कुत्तों को या तो गोली मार दी जाती थी या उन्हें मार दिया जाता था। लेकिन जिन्हें वीरता पदक मिलते थे, उन्हें गोली नहीं मारी जाती थी। एनिमल लवर्स को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली, तो उन्होंने इस पर आपत्ति जताई और मामला दिल्ली हाई कोर्ट में चला गया। 2016 में, अदालत ने रक्षा मंत्रालय को रिटायर हो चुके डॉग्स के लिए रिहैबिलिटेशन पॉलिसी बनाने का आदेश दिया। जिसके बाद सेना मेरठ आरवीसी में ऐसे डॉग्स के लिए रिटारमेंट होम चलाती है। जहां से इन डॉग्स को एनिमल लवर्स गोद ले सकते हैं।







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