पूर्व मंत्री रामलाल मारकंडा, राकेश चौधरी
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भाजपा के दो बागी नेताओं रामलाल मारकंडा और राकेश चौधरी के चुनावी मैदान में उतरने से लाहौल-स्पीति और धर्मशाला के उपचुनाव त्रिकोणीय बन गए हैं। इन दो असंतुष्ट नेताओं के चुनाव लड़ने से जहां भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं वहीं अपना वोट बैंक बनाए रखना कांग्रेस के लिए भी चुनौती से कम नहीं है। मारकंडा और चौधरी के मान-मनौव्वल के लिए भाजपा का डैमेज कंट्रोल सिरे नहीं चढ़ सका है। अब दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के लिए भितरघात बड़ा खतरा बन गया है। उपचुनाव के लिए बागियों को जिम्मेवार ठहराकर कांग्रेस सरकार दस में से पूरी की छह गारंटियाें को सीढ़ी बना जीत तलाश रही है। लाहौल-स्पीति और धर्मशाला के उपचुनाव में तीन-तीन प्रत्याशियों के आमने-सामने होने से मुकाबला दिलचस्प बन गया है। वर्तमान में हिमाचल की 62 सदस्यों की विधानसभा में कांग्रेस के 34 और भाजपा के 25 विधायक हैं। नालागढ़, देहरा और हमीरपुर विधानसभा से निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे का मामला अभी विधानसभा अध्यक्ष के पास विचाराधीन है। आने वाले दिनों में तीनों के इस्तीफे स्वीकार होने की स्थिति में यहां उपचुनाव के लिए कुछ माह इंतजार करना पड़ेगा।