House Of Bhagat Singh Companion Sher Jung Was Demolished In Delhi – Amar Ujala Hindi News Live

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House of Bhagat Singh companion Sher Jung was demolished in Delhi

शेर जंग का मकान
– फोटो : फाइल

विस्तार


शहीद -ए-आजम भगत सिंह के साथी शेर जंग का दिल्ली स्थित खैबर पास इलाके में बना (बूटा सिंह बिल्डिंग) मकान तोड़ दिया। पिछले लगभग 80 साल से इनका परिवार यहां रह रहा था। देश की आजादी की लड़ाई में शेर ने अहम भूमिका निभाई थी। 

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लाहौर व मुल्तान की जेल में जब शेर जंग बंद था तब क्रांतिकारी बीके दत्त ने उनसे मिलकर भगत सिंह का संदेश दिया था। क्रांतिकारी शेर जंग की जीवनी पर पुस्तक लिखने वाले खोजी लेखक राकेश कुमार ने खास बातचीत के दौरान बताया कि शेर जंग शहीद भगत सिंह का दोस्त था। शेर का जन्म 27 नवंबर 1904 में हिमाचल के नाहन में हुआ था। लाहौर (पाकिस्तान) में शेर के जीजा उदय वीर शास्त्री नेशनल कालेज में संस्कृति के प्रोफेसर थे। 

जिस जगह शास्त्री रहते थे, वहीं पड़ोस में क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा रहते थे। वहां भगत सिंह, दुर्गा भाभी, बीके दत्त व अन्य क्रांतिकारियों का आना-जाना था। यहीं पर शेर जंग की मुलाकात भगत सिंह व अन्य क्रांतिकारियों के साथ हुई। भगत सिंह व बीके दत्त ने जब असेंबली में बम फेंका था तो इन्हें सजा हो गई थी। दोनों को जेल से बाहर निकालने के लिए धनराशि की जरूरत थी तब शेर सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर अहमदगढ़ में ट्रेन में जा रहा सरकारी खजाना लूटने का असफल प्रयास किया था। 

इसी मामले में वो पकड़े गए थे और उन्हें उम्रकैद की सजा हो गई थी। वे लाहौर व मुल्तान की जेल में बंद रहे। उसी जेल में भगत सिंह व बीके दत्त भी बंद थे। दत्त जेल में शेर जंग की बैरक में मिलने पहुंचा और भगत सिंह का संदेश दिया कि तुम्हें भगत सिंह ने प्यार भेजा है और कहा समय मिलने पर आएंगे। दो मई 1938 को शेर जेल से रिहा हुआ। 1939 को दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कालेज में काम मिल गया, लेकिन सीआईडी उसका पीछा हमेशा करती रही। फिर 1940 में अंग्रेजों ने उसे 24 घंटे के भीतर दिल्ली छोड़ने को कहा तो वे गाजियाबाद चले गए। लेकिन अंग्रेजों ने उसे दिल्ली जेल में बंद कर दिया। 1944 में वे जेल से रिहा हुए। रहने को कोई जगह नहीं मिली तो दिल्ली स्थित खैबर पास इलाके में टेंट लगाकर रहने लगे। वहां बनी एक इमारत को आग लग गई। सब कुछ जल गया। 

इमारत का मालिक बूटा सिंह उक्त मकान को छोड़कर कहीं चला गया। शेर ने बूटा से पूछा कि वह इमारत में रह सकता है तो उसने रहने की इजाजत दे दी। तब से लेकर शेर सिंह का परिवार उस इमारत में रह रहा था, जिसे अब दिल्ली के सरकारी विभाग ने तोड़ दिया गया है। 

राकेश कुमार ने कहा कि देश की आजादी में भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारी का मकान इस तरह तोड़ना सही नहीं है। इस मकान में शेर जंग का बेटा सैन्य अधिकारी सलेश जंग (छह माह पूर्व निधन) रहता था। शेर ने बब्बर अकाली लहर (1923) व जैतों मोर्चा में भी भूमिका निभाई है।  

शेर जंग की हरिपुर खोल में बनी समाधि

शेर जंग का दिल्ली में 14 दिसंबर 1996 में 92 साल की आयु में निधन हो गया। हिमाचल स्थित हरिपुर खोल में उनकी समाधि बनी है।



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