हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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प्रदेश में आने वाले समय में प्लास्टिक रैपर लगा सामान भेजने वाली कंपनियों को उनके निष्पादन का शुल्क चुकाना पड़ेगा। शुल्क न चुकाने पर प्लास्टिक के निष्पादन की जिम्मेदारी कंपनियों को लेनी पड़ेगी। सुलेमान वर्सेज सरकार मामले में हाईकोर्ट में वकील दीवान खन्ना ने सरकार से पूछा है कि प्रदेश में कितनी कंपनियां प्लास्टिक रैपर लगा सामान भेज रही हैं, उनकी सूची मांगी गई है।
प्लास्टिक मैनेजमेंट कानून के तहत उक्त कंपनियों की ही निष्पादन करने की जिम्मेदारी है। कितनी कंपनियों से प्लास्टिक रैपर के निष्पादन का खर्चा लिया गया है। उन्होंने दलील रखी है कि कंपनी का अंतिम निर्धारण राज्य और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को राज्य में प्लास्टिक लाने वाली बहुत सी कंपनियों को सहयोग करने और उन्हें अंतिम रूप देने की आवश्यकता है। विशेष रूप से वे जो कई राज्यों में काम रही हैं और जिन्होंने विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व ईपीआर भुगतान नहीं किया है। इसके लिए अब प्रदेश में प्लास्टिक रैपर लगा सामान भेजने वाली कंपनियों का नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा।
इसी के आधार पर उनसे निष्पादन का खर्चा वसूला जाएगा। इस पर ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक ने आगे की कार्रवाई के लिए इस सूची को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपने की बात कही। बता दें कि अभी तक प्रदेश में यह व्यवस्था न होने के चलते कंपनियां अपना सामान प्लास्टिक रैपर लगाए भेज रही हैं। इससे शहरों में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक इकट्ठा हो रहा है। पानी की बोतल बनानी वाली कंपनी से लेकर चिप्स आदि बनाने वाली कंपनियां भी इसके दायरे में आएंगी।
सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा। अगर कोई कंपनी प्लास्टिक की पैकिंग में प्रदेश में सामान भेजती है तो उसे उसके निष्पादन का शुल्क भी चुकाना होगा या उसके निष्पादन की जिम्मेदारी लेनी होगी। इस दिशा में जल्द कार्य किया जाएगा- गोपाल चंद, निदेशक, शहरी विकास विभाग हिमाचल प्रदेश