वैश्विक व्यापार युद्ध के प्रभाव से उत्पन्न आर्थिक अनिश्चितता के बीच मांग बढ़ने से सोने की कीमत पहली बार 3,000 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई है। शुक्रवार को यह रिकॉर्ड 3,004.86 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई। इस साल के महज 75 दिन में अब तक इस बहुमूल्य धातु में निवेश पर 14 फीसदी का फायदा मिला है।
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स्टैंडर्ड चार्टर्ड की विश्लेषक सुकी कूपर ने कहा, देशों के बीच अनिश्चितता और टैरिफ में जारी बदलावों की पृष्ठभूमि में सोने के प्रति रुझान मजबूत बना हुआ है। हार्ग्रेव्स लैंसडाउन में फंड रिसर्च की प्रमुख विक्टोरिया हस्लर ने कहा, वर्तमान में सोने की कीमत के पीछे दो मुख्य कारक हैं। ट्रंप के टैरिफ और सोशल मीडिया टिप्पणियों तथा मध्य पूर्व और रूस-यूक्रेन में चल रहे तनाव के बीच अनिश्चितता बढ़ती ही जा रही है। इस सब कारणों से सोने की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है।
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हसलर ने कहा, दूसरा बड़ा कारण केंद्रीय बैंकों की ओर से सोना खरीदना था। उपर्युक्त दोनों कारक बरकरार हैं और निकट भविष्य में सोने की कीमतों में कमी आने की कोई उम्मीद भी नहीं है। पिछले साल केंद्रीय बैंकों ने अपने भंडार में लगभग 1,045 टन सोना जोड़ा था। लगातार तीसरे साल 1,000 टन से अधिक सोना खरीदा गया।
2018 के अंत में जब सोना 1,200 डॉलर प्रति औंस से नीचे चला गया था, तब से कीमतें तेजी से बढ़ने लगी हैं। कोविड महामारी और उच्च सरकारी घाटे सहित कई कारकों से प्रेरित होकर निवेशकों को एक बार फिर सोने ने आकर्षित किया। सोने को निवेशकों के लिए एक सुरक्षित संपत्ति माना जाता है और आर्थिक अस्थिरता के समय अक्सर इसकी मांग बढ़ जाती है।