मझाण गांव में अपने बेटे की पीठ में मतदान को पहुंची 84 वर्षीय विधवा नीरजू देवी।
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लोकतंत्र में वोट का क्या महत्व है….कई लोग अभी भी इसके बारे में शायद नहीं जानते हैं। तभी देशभर में करीब 30 से 40 फीसदी जनता अभी मतदान केंद्र तक नहीं आते हैं। जिले के दूसरे सबसे दुर्गम पोलिंग स्टेशन मझाण और इसी गांव की रहने वाली 84 साल की नीरजू देवी वोट के अधिकार को भली भांति जानती हैं।
वह पति की मौत के दुख को भूल कर लोकतंत्र के पर्व में अपनी भागीदारी के लिए प्राइमरी स्कूल मझाण में बनाए गए मतदान केंद्र में वोट देने पहुंचीं। इस फर्ज को निभाने के लिए उनके बेटे धर्मपाल ने करीब आधा किलोमीटर पीठ पर उठाकर पहुंचाया। इस दौरान उसका पोता पवन कुमार भी दादी के सहारे की लाठी बनकर मतदान केंद्र पहुंचा था। बता दें कि 84 साल की नीरजू देवी निवासी मझाण के पति भाग चंद की 29 मई शाम को अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। 30 मई सुबह उनका अंतिम संस्कार किया गया।
98 साल के भाग चंद ने भी मृत्यु से पहले 25 मई को घर पर ही मतदान कर अपना फर्ज निभाया था। पति की मौत के गम में डूबी नीरजू देवी ने मतदान कर युवाओं तथा उन लोगों को प्रेरणा दी जो वोट डालने के लिए नहीं आते हैं। मझाण गांव भी सैंज घाटी के तहत आता है और यहां पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टी को करीब नौ किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई को तय करने में तीन घंटे का समय लगा।