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सांकेतिक तस्वीर – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
सोशल मीडिया पर समय बिताना, व्यायाम से दूरी और परिवार को पर्याप्त समय न देना युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से हानिकारक हो सकता है। जड़ों की ओर लौटने से हम मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सफल हो सकते हैं। शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 मे कहा गया कि युवाओं, बच्चे व किशोरों का बेहतर मानसिक स्वास्थ्य भारत की अर्थव्यवस्था को गति देगा।
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संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में जोर दिया गया है कि बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा इंटरनेट, खासतौर पर सोशल मीडिया के अत्यधिक इस्तेमाल से जुड़ा है।
जोनाथन हैडट की पुस्तक ‘द एनक्सियस जेनरेशन: हाउ द ग्रेट रीवायरिंग ऑफ चिल्ड्रन इज कॉजिंग ए एपिडेमिक ऑफ मेंटल इलनेस’ का हवाला देते हुए सर्वेक्षण में बताया कि फोन-आधारित बचपन बड़े होने के अनुभव को तार-तार कर रहा है। जो लोग कभी-कभार व्यायाम करते हैं, सोशल मीडिया पर समय बिताते हैं या परिवार के करीब नहीं हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है। यह मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश के भविष्य को लेकर उचित नहीं है। उत्पादकता के लिए जीवनशैली विकल्प, कार्यस्थल संस्कृति और पारिवारिक स्थितियां सबसे अहम हैं। आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जीवनशैली विकल्पों पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए।
तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत
आर्थिक सर्वेक्षण में स्कूल व परिवार स्तर पर हस्तक्षेप की तत्काल जरूरत पर जोर दिया है, ताकि दोस्तों संग स्वस्थ समय बिताया जा सके। बाहर खेलना, घनिष्ठ पारिवारिक बंधन बनाने में समय निवेश करना बच्चों और किशोरों को इंटरनेट से दूर रखने और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में काफी मदद करेगा।
विज्ञान इन उपायों का पक्षधर
जीवन शैली बेहतर कर मानसिक स्वास्थ्य मजबूत बनाने के लिए जंक फूड में दूरी बनाएं। परिवार को पर्याप्त समय दें। उनसे नजदीकियां बढ़ाएं। संगीत सुनें, दोस्तों से मिलें, खेलने में समय बिताएं। साथ ही व्यायाम को प्राथमिकता देते हुए इसे दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इससे मानसिक स्वास्थ्य के साथ संभावित बीमारियों से बचाव हो सकता है।