Devendra Fadnavis, Dharmendra Pradhan Or Someone Else; Who Will Be The New President Of Bjp? – Amar Ujala Hindi News Live

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Devendra Fadnavis, Dharmendra Pradhan or someone else; Who will be the new president of BJP?

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– फोटो : Amar Ujala

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देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। भाजपा के पास कई ऐसे बड़े नेता मौजूद हैं, जिन्हें इस पद की दौड़ में शामिल बताया जा रहा है। इनमें धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, विनोद तावड़े और केशव प्रसाद मौर्य तक का नाम शामिल है। 28 जुलाई के बाद इस दौड़ में देवेंद्र फडणवीस का नाम भी शामिल हो गया है और कहा जा रहा है कि वे पार्टी के नए अध्यक्ष हो सकते हैं। विशेषकर महाराष्ट्र में यह चर्चा सबसे अधिक हो रही है। उन सभी समीकरणों पर भी विचार किया जा रहा है, जिसके आधार पर नए अध्यक्ष को लाने पर विचार किया जा सकता है। इसमें ओबीसी कार्ड, आगामी चुनाव और भाजपा-आरएसएस के केंद्रीय नेताओं से नजदीकी के आधार पर भी अगले अध्यक्ष के बारे में अनुमान लगाया जा रहा है। 

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क्या देवेंद्र फडणवीस भाजपा के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं, इस प्रश्न पर महाराष्ट्र के एक नेता ने अमर उजाला से कहा कि वे बहुत प्रतिभाशाली और मिलनसार नेता हैं। पार्टी के संगठन से लेकर महाराष्ट्र सरकार में महत्वपूर्ण दायित्व संभाल चुके हैं। पार्टी और संघ के शीर्ष नेताओं से उनके संबंध भी बहुत अच्छे हैं। महाराष्ट्र में सरकार बनाने में भी उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। बिहार के प्रभारी रहते हुए और कई राज्यों में उनका सांगठनिक नेतृत्व कौशल भी दिख चुका है। ऐसे में अध्यक्ष पद के लिए उनकी योग्यता पर कोई संदेह नहीं है।

नेता के अनुसार, लेकिन भाजपा ने उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति के लिए विशेष तौर पर आगे बढ़ाया था। आज भी महाराष्ट्र में भाजपा के पास देवेंद्र फडणवीस के अलावा दूसरा कोई बड़ा और लोकप्रिय चेहरा नहीं है, जो पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में जीत दिला सके। पीयूष गोयल, विनोद तावड़े जैसे नेता भाजपा के पास हैं, लेकिन वे केंद्र की राजनीति में व्यस्त हैं। केंद्र की आवश्यकताओं को देखते हुए उन्हें प्रदेश में भेजने की संभावना भी कम ही है। ऐसे में देवेंद्र फडणवीस पार्टी के लिए महाराष्ट्र में अधिक उपयोगी साबित हो सकते हैं। आगामी चुनाव को ध्यान में रखकर पार्टी उनका उपयोग महाराष्ट्र में ही कर सकती है। 

चूंकि, भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा ब्राह्मण समुदाय से हैं, लिहाजा पार्टी लगातार दूसरा अध्यक्ष भी ब्राह्मण समुदाय से ही देने से परहेज कर सकती है। 

इंडिया गठबंधन ने जिस तरह जातिगत जनगणना, ओबीसी और दलित कार्ड का दांव खेला है, उसे देखते हुए इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा अगला अध्यक्ष ओबीसी या दलित समुदाय से दे सकती है। यदि ऐसा होता है तो धर्मेंद्र प्रधान या भूपेंद्र यादव पार्टी के खांचे में फिट बैठ सकते हैं। पार्टी के केंद्रीय संगठन में कार्य करने का लंबा अनुभव, केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य करने का अनुभव और केंद्रीय नेताओं से उनकी नजदीकी भी उन्हें इस पद के योग्य बनाती है। 

इन समीकरणों में केशव प्रसाद मौर्य भी बिल्कुल फिट बैठते हैं। ओबीसी समुदाय से आने वाले मौर्य उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री के महत्वपूर्ण पद पर भी बने हुए हैं। संगठन में रहने और हिंदुत्व के चेहरे के रुप में भी देखा जाता है। संघ को भी उनके नाम पर कोई आपत्ति नहीं होगी। पार्टी उन्हें केंद्र में भेजकर उत्तर प्रदेश में चल रहे राजनीतिक तनाव का भी पटाक्षेप करने की रणनीति अपना सकती है। 

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में भाजपा के पास ओबीसी समुदाय का सर्वोच्च चेहरा उसके पास पहले से मौजूद है। ऐसे में माना यह भी जा रहा है कि पार्टी एक साथ दोनों सर्वोच्च पदों पर एक ही समुदाय के व्यक्ति को बिठाने से परहेज कर सकती है। ऐसे में इस पद पर किसी दूसरे समुदाय के व्यक्ति को जगह मिल सकती है। 

राष्ट्रपति के रूप में आदिवासी द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में ओबीसी समुदाय को सरकार में बड़ा प्रतिनिधित्व मिला हुआ है, ऐसे में अटकलें इसी बात की लगाई जा रही हैं कि पार्टी के अध्यक्ष पद पर किसी दलित चेहरे को उतारने पर भी विचार किया जा सकता है। यह चेहरा कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सामने मजबूती से पार्टी का पक्ष रख सकता है। विपक्ष ने जिस तरह लोकसभा चुनावों में संविधान और जातिगत जनगणना का विमर्श पैदा किया है और आगे भी वह इसी मुद्दे पर हमलावर होने का रुख दिखा रहा है, पार्टी को दलित चेहरा सूट कर सकता है। ऐसा चेहरा कौन हो सकता है, इस पर भी अटकलें लगाई जा रही हैं। 

जल्द मिलेगा अध्यक्ष

अध्यक्ष पद के लिए अटकलों के बीच यह तय माना जा रहा है कि पार्टी बहुत जल्द नए कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। इसके बाद पार्टी सदस्यता अभियान चलाएगी और कुछ प्रदेश अध्यक्षों की जिम्मेदारी भी बदली जा सकती है। इसके बाद दिसंबर माह के अंत तक पार्टी को पूर्णकालिक अध्यक्ष मिल सकता है। 







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