राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
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मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के अधिवक्ता पंकज कुमार का पुलिस द्वारा आंख फोड़े जाने के मामले में (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) एनएचआरसी एनएचआरसी का बिहार सरकार पर कड़ा एक्शन हुआ है। पीड़ित अधिवक्ता की ओर से मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा मामले की पैरवी कर रहे हैं। इसके बाद एनएचआरसी ने अब राज्य सरकार को इस दिशा में आदेश दिया है। एनएचआरसी ने बिहार राज्य सरकार के मुख्य सचिव को अब पीड़ित अधिवक्ता को 25 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने मामले में मुख्य सचिव के विरुद्ध ‘कारण बताओ’ नोटिस भी जारी किया था और मामले में दो सप्ताह के भीतर जबाव माँगा था, लेकिन मुख्य सचिव द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया।
तत्पश्चात आयोग ने विगत 21 अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार अपनी मुआवजा देने की जवाबदेही से नहीं भाग सकती है, क्योंकि यहां एक लोक सेवक ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है। इस कारण पीड़ित को अपनी एक आंख गंवानी पड़ी। आयोग ने मुख्य सचिव को पीड़ित को 25 हजार रुपये मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया है तथा आदेश के अनुपालन हेतु चार सप्ताह का समय दिया है।
दर्द से कराहते हुए जमीन पर गिर गए
बता दें कि सात फरवरी को अधिवक्ता पंकज कुमार रात्रि के लगभग 11:40 बजे पटना से अपने आवास मुजफ्फरपुर लौट रहे थे, तब पावर हाउस चौक पर पहले से मौजूद काजीमोहम्मदपुर थाने के पुलिसकर्मी वाहन जांच के लिए खड़े थे। पुलिसकर्मियों द्वारा उनकी गाड़ी को रोका गया और पूछा गया कि वे कहाँ से आ रहे हैं? जबतक अधिवक्ता कुछ बोल पाते तबतक पुलिस पदाधिकारी द्वारा उन्हें गाली देते हुए पुलिसकर्मियों को उन्हें मारने का आदेश दे दिया गया। उसके बाद एक पुलिसकर्मी के द्वारा अधिवक्ता पंकज कुमार की एक आंख को डंडे से भोंक दिया गया। वह दर्द से कराहते हुए ज़मीन पर गिर गए। तब सभी पुलिसकर्मी वहां से भाग गए। अधिवक्ता पंकज कुमार का इलाज शंकर नेत्रालय कोलकाता में हुआ। उनकी एक आंख की रौशनी खत्म हो चुकी है।
20 लाख रुपये मुआवजे की मांग
इस पूरे मामले की जानकारी पीड़ित अधिवक्ता पंकज कुमार ने मानवाधिकार के अधिवक्ता एसके झा के माध्यम से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली तथा बिहार मानवाधिकार आयोग, पटना को दी थी। इसपर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुआवजे के लिए कार्रवाई की है। मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने बताया कि यह पूरा प्रकरण मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर श्रेणी का मामला है। आयोग मामले को लेकर शुरू से ही काफी सख्त है और आयोग के द्वारा मामले को काफी गंभीरता से लिया गया है। विदित हो कि मामले में अगली सुनवाई आठ नवंबर को होगी, जिसमें पीड़ित अधिवक्ता को 20 लाख रुपये मुआवजा दिलाने हेतु एवं दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कराने हेतु अनुरोध किया जायेगा। उन्होंने बताया कि अधिवक्ता पर हमला कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इसके लिए दोषी पुलिसकर्मी को कानून का एहसास कराना जरुरी है।